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जम्मू-कश्मीर: लश्कर कमांडर उस्मान के खात्मे में बिस्किट बना हथियार!

श्री नगर: जम्मू-कश्मीर के खानयार इलाके में शनिवार को सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उस्मान को मार गिराया है। इस अभियान की सफलता में न केवल सेना की बहादुरी ही नहीं बल्कि एक अनोखी रणनीति के तहत बिस्कुटों का भी बड़ा योगदान रहा है। हाल के ऑपरेशनों से यह साफ़ हो चुका है कि मुठभेड़ों […]

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Lashkar commander Usman killed in Jammu and Kashmir
  • November 3, 2024 11:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

श्री नगर: जम्मू-कश्मीर के खानयार इलाके में शनिवार को सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उस्मान को मार गिराया है। इस अभियान की सफलता में न केवल सेना की बहादुरी ही नहीं बल्कि एक अनोखी रणनीति के तहत बिस्कुटों का भी बड़ा योगदान रहा है। हाल के ऑपरेशनों से यह साफ़ हो चुका है कि मुठभेड़ों में केवल हथियार ही नहीं, बल्कि एआई और बाकी तकनीकी उपाय भी प्रभावी होते हैं।

आवारा कुत्तों को भौंकने से रोका

बता दें कमांडर उस्मान को समाप्त करने के लिए सुरक्षाबलों ने विशेष योजना बनाई थी। उन्होंने आवारा कुत्तों की भौंकने से रोकने के लिए खोजी टीमों को बिस्कुट दिए, ताकि लक्ष्य के करीब पहुंचते समय कुत्ते भौंक न सकें। वहीं मुठभेड़ के बाद, वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई दो साल में जम्मू-कश्मीर में हुई सबसे बड़ी कार्रवाई थी। इस खुफिया जानकारी में उस्मान की उपस्थिति का पता चला, तो अधिकारियों ने बिना किसी क्षति के अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नौ घंटे तक योजना बनाई। इस दौरान कुत्तों के भौंकने की समस्या सुरक्षाबलों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती थी, क्योंकि इससे आतंकवादी सतर्क हो जाते थे।

कौन था आतंकवादी उस्मान

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, खोजी टीमों ने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते समय आवारा कुत्तों को बिस्कुट खिलाए। यह एक अनूठी रणनीति साबित हुई, जिसने अभियान की सफलता में अहम भूमिका निभाई। बता दें यह अभियान स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त प्रयास से संचालित हुआ।

सुरक्षाबलों ने बताया कि उस्मान इलाके से भलीभांति परिचित था और 2000 के दशक की शुरुआत से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। पाकिस्तान में कुछ समय बिताने के बाद, उसने 2016-17 में इस क्षेत्र में घुसपैठ की थी। इतना ही नहीं पिछले साल वह पुलिस उपनिरीक्षक मसरूर वानी की हत्या में भी शामिल था। वहीं इस सफल अभियान के साथ सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा की ब्रांच ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ के खिलाफ भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जो गैर-स्थानीय मजदूरों और सुरक्षाकर्मियों पर हमले करती रही है.

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