नई दिल्ली. पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की मौत होने की खबर आ रही है. हालांकि पाकिस्तान सरकार इस मामले में अभी तक कुछ भी कहने से बच रहे हैं और अजहर की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. आपको बता दें कि आतंकी मौलाना मसूद अजहर को 1994 में जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया था लेकिन 1999 में कंधार विमान हाइजैक के बाद मसूद अजहर को मजबूरन छोड़ना पड़ा था. इसी के बाद 2001 संसद हमले से लेकर 2019 में पुलवामा हमले तक मूसद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने भारत में कई बार आतंकी हमले किए. आइए जानते हैं कि उस वक्त क्या हुआ था और क्यों मजबूरन खूंखार आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर को भारत से रिहा करना पड़ा था.
कैसे हुआ एयर इंडिया का विमान हाइजैक-
24 दिसंबर 1999 की सर्द शाम करीब सवा 5 बजे नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर आईसी-814 ने 176 यात्रियों और 15 क्रू मेंबर के साथ दिल्ली के लिए उड़ान भरी. टेक ऑफ के वक्त विमान में बैठे यात्रियों को यह नहीं पता था कि उनके साथ पांच आतकंवादी भी सफर कर रहे हैं. जैसे ही विमान ने भारतीय वायु सीमा में प्रवेश किया आतंकियों ने विमान में पॉजिशन ले ली. उनमें से एक ने पायलट को धमकी दी कि वह विमान को पश्चिम दिशा में घुमाए नहीं तो वह विमान को बम से उड़ा देंगे. विमान में मौजूद सभी लोगों को पता चल गया कि उनका प्लेन हाइजैक हो चुका है.
इसके बाद विमान में ईंधन कम होने के चलते उसे अमृतसर में लैंड कराया गया. अमृतसर एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों ने विमान को घेर लिया लेकिन उन्हें आदेश मिले की वे कोई भी कार्रवाई न करें क्योंकि विमान में मौजूद यात्रियों की जान का खतरा है. इसके बाद हाइजैकर्स बिना ईंधन भराए ही विमान को उड़ाकर पाकिस्तान के लाहौर की तरफ ले गए उन्होंने लाहौर में लैंडिंग की अनुमति मांगी. पाकिस्तान सरकार ने विमान को लाहौर में लैंडिंग की अनुमति नहीं दी. इसके कुछ देर बाद लाहौर एयरपोर्ट ने लैंडिंग की अनुमति दी और विमान में ईंधन भराकर लाहौर छोड़ने को कहा. लाहौर से हाइजैकर्स विमान को दुबई मिलट्री एयरपोर्ट पर ले गए. दुबई में 27 यात्रियों को हाइजैकर्स ने रिहा कर दिया. आखिरकार हाइजैकर्स विमान को दुबई से उड़ाकर अफगानिस्तान के कंधार ले गए. वहां तालिबानी आतंकवादियों ने विमान को घेर लिया.
हाइजैकर्स ने यात्रियों के बदले मांगे 36 आतंकी और 20 करोड़ डॉलर-
इसके बाद शुरू हुआ हाइजैकर्स और भारत सरकार के बीच सौदेबाजी का खेल. हाइजैकर्स नेयात्रियों के बदले भारत सरकार से 36 आतंवादियों को छोड़ने और 20 करोड़ डॉलर देने की मांग रखी. इसमें मौलाना मसूद अजहर के साथ मुस्ताक अहमद जरगर, अहमद ओमार सईद शेख भी शामिल थे. बताया जाता है कि तालिबान ने इस दौरान भारत सरकार और हाइजैकर्स के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाई. उस समय भारत में एनडीए सरकार थी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. क्योंकि हाइजैकर्स विमान को उड़ाकर अफगानिस्तान ले गए थे इसलिए भारत के पास इन आतंकवादियों को छोड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था.
भारत सरकार के पास नहीं था कोई ओर विकल्प-
पांच दिन बीत जाने के कारण विमान में मौजूद यात्रियों की हालत खराब हो गई थी. उस समय इंटिलिजेंस ब्यूरो के चीफ अजीत डोभाल थे, वे अफगानिस्तान पहुंचे और बताया कि जल्द से जल्द सरकार कुछ फैसला ले. दूसरी तरफ भारत में यात्रियों के परिजन सरकार की नाक में दम किए हुए थे. वाजपेयी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था. विपक्षी पार्टियां कहने को इस मामले में सरकार के साथ थीं लेकिन वे भी ढिलाई बरतने पर सरकार को घेर रही थीं.
इसके बाद 28 दिसंबर को हाइजैकर्स के साथ डील लगभग तय हुई और 36 के बजाय 3 आतंकियों को छोड़ने पर फैसला हुआ. आखिरकार मजबूरन 31 दिसंबर 1999 को आंतकी मौलाना मसूद अजहर, मुस्ताक अहमद जरगर और अहमद ओमार सईद शेख भारत से कंधार ले जाया गया. जहां तालिबान की मौजूदगी में उन्हें रिहा कर यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया. यात्रियों के भारत लौटने के बाद सभी ने चैन की सांस ली. भारत से रिहा होने के बाद मौलाना मसूद अजहर ने 2000 में कई आतंकी गुटों को जोड़कर जैश-ए-मोहम्मद की नींव रखी. तब से लेकर 2019 तक उसने भारत में कई आतंकी हमले किए.
Masood Azhar is Dead: भारत को कब-कब दहला चुका है मसूद अजहर का आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद
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