Rajasthan Jaipur Tablighi Ijtema: कड़ाके की ठंड में जयपुर में तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तिमा, बच्चों- बुजुर्गों समेत शरीक हुए हजारों लोग

Jaipur Tablighi Ijtema: कड़ाके की ठंड में भी जयपुर चल रहे तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तिमा में बच्चों- बुजुर्गों समेत हजारों लोग शरीक होने पहुंचे हैं. यहां आए लोगों के लिए सुरक्षा समेत तमाम पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

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Rajasthan Jaipur Tablighi Ijtema: कड़ाके की ठंड में जयपुर में तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तिमा, बच्चों- बुजुर्गों समेत शरीक हुए हजारों लोग

Aanchal Pandey

  • February 3, 2019 12:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

जयपुर. जयपुर में तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत हुई है. इस कड़ाके की ठंढ में भी छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बड़ी संख्या में दीन सीखने और सिखाने की इस पहल का हिस्सा बन रहे हैं. शरियत के मुताबिक जिंदगी गुजारने की फिक्र लिए हजारों की संख्या में लोग इस तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा में शिरकत कर रहे हैं. यहां पहुंचे उलेमा बता रहे हैं कि किस तरह अल्लाह के हुक्म के मुताबिक जिदगी जी जाती है, पैगम्बर मोहम्मद के बताए दीन के रास्ते क्या हैं और कैसे आप उन रास्तों को अपनी जिंदगी में अपना सकते हैं. जयपुर में इस तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत मौलाना अब्दुल हमीद साहव के बयान के साथ हुई. तब्लीगी इज्तिमा पर उन्होने वहां पहुंचो लोगों के लिए खास रोशनी डालते हुए कहा कि तब्लीगी इज्तिमा अच्छाई की दावत और बुराई का खात्मा करने के मकसद के की जाती है.

जयपुर दीनी तब्लीगी इज्तिमा की खास बातें

  • तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा में आए लोगों के लिए वहां खास व्यवस्थाएं की गईं हैं. यहां पहुंचे लोगों के लिए खाने-पीने से लेकर तमाम तरह के इंतजाम पुख्ता किए गए हैं.
  • जयपुर तब्लीगी इज्तिमा में शरीक होने आए लोगों के सभी चीजें बेहद ही रियायती दरों पर मिल रहीं हैं, जिससे वहां पहुंचे गरीब तबके के लोगों को भी सहूलियत हो.
  • पार्किंग, चिकित्सा, सुरक्षा सहित बाकि के सभी इंतजामों के लिए कई खिदमतगार टीमें यहां आए लोगों की  खिदमत में जुटी हुईं हैं.
  • जयपुर में हो रहे इस दीनी तब्लीगी इज्तिमा में निकाह पढ़ाने की भी व्यवस्था की गई है. मकसद है सादगी से निकाह को बढ़ावा देना. शरियत के मुताबिक निकाह में फिजूलखर्ची की मनाही है.

आपको बता दें कि तब्लीगी इज्तिमा मुस्लिम समुदाय के लोगों का एक खास जलसा होता है, जो हर साल राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर होता है. इसकी शुरूआत 1927 में हुई थी जब देश भर में आर्य समाज की ओर से घर वापसी का अभियान चलाया जा रहा था. 

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