26/11 मुंबई में हुए आतंकी हमले की 9वीं बरसी पर ITV नेटवर्क की ओर से रविवार को शहीदों की याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम को 'मुंबई तुझे सलाम' नाम दिया गया था. कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह 26/11 आतंकी हमले का दर्द कभी नहीं भुला पाएंगे. मुंबई में सुरक्षा के लिए बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं ताकि अब कोई भी आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब न होने पाए.
मुंबईः 26/11 मुंबई में हुए आतंकी हमले की 9वीं बरसी पर ITV नेटवर्क की ओर से रविवार को शहीदों की याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम को ‘मुंबई तुझे सलाम’ नाम दिया गया था. यह कार्यक्रम मुंबई के बॉम्बे जिमखाना के मैदान में आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्यपाल विद्यासागर राव और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू के अलावा 110 देशों के राजनायिकों ने शिरकत की. 26/11 मुंबई हमले में मारे गए लोगों की याद में यह कार्यक्रम रखा गया था.
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह 26/11 आतंकी हमले का दर्द कभी नहीं भुला पाएंगे. मुंबई में सुरक्षा के लिए बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं ताकि अब कोई भी आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब न होने पाए. सीएम ने कहा हम सबको आतंक से मिलकर लड़ना चाहिए. हमें आतंक के खिलाफ ग्लोबल लड़ाई लड़ने की जरूरत है. कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा, सरकार की कोशिश है कि देश से आतंकवाद का नामोनिशान मिटा दिया जाए और इसके लिए केंद्र सरकार हर संभव कदम उठा रही है.
महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि केंद्र सरकार आतंकवाद को खत्म करने के लिए बेहतर तरीके से काम कर रही है. सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि सभी देशों को मिलकर इस आतंकवाद को खत्म करना होगा. हाफिज सईद की रिहाई पर राज्यपाल ने कहा कि आतंकी हाफिज सईद एक बार फिर से जेल से बाहर आ गया है, वह फिर से आतंकवाद को बढ़ावा देगा. बताते चलें कि इस दौरान शिलांग और देश के दूसरे हिस्से से आए कलाकारों ने कई मोहक प्रस्तुतियां पेश कीं. वहीं सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने भी एक गीत गाकर मुंबई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
26 नवंबर, 2008 का वो मनहूस दिन मुंबई के इतिहास में लहू से लिखी हुई तारीख के रूप में दर्ज है. मुंबई में हुए आतंकी हमले को भुलाना हरगिज आसान नहीं है. तब तक तो शायद बिल्कुल भी नहीं जब तक इस हमले का मास्टरमाइंड जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद पाकिस्तान की खुली हवा में सांस ले रहा है. एक ओर आतंकियों की गोलियों का निशाना हुए बेगुनाह लोगों के मारे जाने का दुख है तो बदले की आग में जल रहे देशवासियों में इस बात का भी गुस्सा है कि आज तक मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पकड़ा नहीं गया है. उसकी नजरबंदी पर से लगी रोक के बाद तो हाफिज सईद पाकिस्तान में आजाद घूम रहा है.
26/11 आतंकी हमले को याद करते ही लोग सिहर उठते हैं, खासकर वो चश्मदीद जिन्होंने उस दिन को बेहद करीब से महसूस किया था, जिनके अपने उस हमले में मारे गए थे. इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी. पाकिस्तान से आए कुछ आतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए मुंबई के कई प्रसिद्ध और सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों को चुना था. हर एक ग्रुप में दो आतंकी शहर के अलग-अलग हिस्सों में बंट गए थे. फांसी पर लटकाया जा चुका आतंकी अजमल कसाब और उसके साथी आतंकी इस्माइल ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पर मासूम लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थीं. आतंकियों के हमले में सबसे ज्यादा इसी जगह पर जान-माल का नुकसान पहुंचाया था. यहां हुए हमले में करीब 60 लोगों की जान गई थी.
आतंकियों ने CSMT के अलावा मुंबई के कामा अस्पताल, लियोपॉड कैफे, नरीमन हाउस, ताजमहल होटल और ओबेरॉय होटल जैसी जगहों को अपना निशाना बनाया था. गौरतलब है कि पाकिस्तान के न्यायिक समीक्षा बोर्ड ने बीते गुरुवार को हाफिज सईद को नजरबंदी से रिहा कर दिया. मुंबई हमले के मामले में भारत का पक्ष रखने वाले वकील उज्ज्वल निकम ने कहा, ‘हमने आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान को पर्याप्त सबूत सौंपें हैं, मगर वह हमें मूर्ख बना रहा है.’ मुंबई हमले की बरसी से चार दिन पहले हाफिज सईद को रिहा करना पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. बहरहाल भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी सईद की रिहाई पर ऐतराज जताया है. ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान एक बार फिर सईद को किसी अन्य मामले में हिरासत में लेने पर विचार कर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान को डर है कि सईद की रिहाई से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस पर प्रतिबंध न लगा दिए जाए.
26/11 मुंबई हमला: दहशत के वो 60 घंटे जो आज भी रूह कंपा देते हैं