श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के लिए चुनाव प्रचार का शोर रविवार शाम को थम गया है। पहले चरण में 40 विधानसभा सीटों के लिए एक अक्टूबर को मतदान होगा। सभी दलों की नजर पहले चरण के मतदान पर है क्योंकि इन्हीं सीटों के नतीजे से तय होगा कि जम्मू-कश्मीर की सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा।
जम्मू-कश्मीर में विधान सभा का पहले चरण का चुनाव 1 अक्तूबर को होने वाला हैं और सारी तैयारी हो चुकी हैं। आर्टिकल 370 के समय कश्मीर का अलग ही माहौल चल रहा था। आए दिन कश्मीरी युवा हमारे सैनिकों पर पत्थरबाजी करते थे। वहीं इस चुनाव के दौरान यह भी बात सामने आई है कि सैनिकों के ऊपर पत्थरबाजी करने के उन्हें पैसे दिए जाते थे।
मौजूदा कश्मीरी युवाओ का कहना है कि उन्हें उस समय पत्थरबाजी के लिए कहीं 500 रु., कहीं 300 रु.,कहीं 1000 रुपये सभी लड़कों को मिलते थे, हम उस समय यहीं काम करते थे। एक प्रतिशत लोग ही इस पत्थरबाजी में शामिल नहीं होते थे बाकि सब लोग पत्थरबाजी के लिए दौड़ जाते थे। पत्थरबाजी के लिए पैसे कहां से आते थे। यह स्थानिक लोगों को आज तक नहीं पता चला। हालांकि, एक स्थानिक व्यक्ति का कहना है कि यार,दोस्तों से घुमते-घुमते पैसे हमारे पास पहुंचते थे।
5 अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 और 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को हटाने की मंजूरी दी थी। तब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ‘ऐतिहासिक गलती को सुधारने के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम’ बताया था। अब जम्मू-कश्मीर के हालत बदल गए हैं।
जम्मू-कश्मीर के स्थानिकों का कहना है कि अब 24 घंटे बिजली रहती हैं, अब बत्ती गुल नहीं होती। 2019 से पहले हमें घर से बहार निकलने में डर लगता था कि घर वापस आना होगा या नहीं। लगातार स्थानीय लोग सरकार द्वारा दिए जा रहे राशन पर अपनी नाराजगी जाता रहे है। यहां भी युवा खास कर शिक्षित महिलाओं का कहना है कि शिक्षा के आधार पर यहां रोजगार की बहुत कमी है। सभी युवाओं की इस चुनाव से बहुत आस है।
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