नई दिल्ली. केंद्र सरकार का दावा है कि उनकी सरकार में 1.06 करोड़ नए करदाता जुड़े हैं लेकिन अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में दावा किया गया है कि जिस साल नोटबंदी लागू की गई उस साल स्टॉप फाइलर्स की संख्या में जबर्रदस्त इजाफा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 में आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों की संख्या 2015-16 में 8.56 लाख से 10 गुना बढ़कर 88.04 लाख हो गई.
स्टॉप फाइलर वो लोग होते हैं जिन्होंने पहले के सालों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया होता है लेकिन उस वित्तीय वर्ष में उन्होंने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2016-17 में स्टॉप फाइलरों की संख्या 2015-16 में 8.56 लाख से 10 गुना बढ़कर 88.04 लाख हो गई. आयकर विभाग के लोग इसकी वजह बेरोजगारी को बता रहे हैं.
इनकम टैक्स अधिकारियों के मुताबिक नोटबंदी के बाद 500 और हजार के नोट चलन में बंद हो गए जिससे देश की आर्थिक गतिविधि रुक गई और कई लोगों की नौकरियां चली गई जिसकी वजह से लोगों ने रिटर्न फाइल नहीं किया. गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद से विपक्ष सरकार पर लगातार सवाल उठाता आ रहा है मोदी सरकार में लोगों की नौकरियां चली गई. हालांकि सरकार की तरफ से विपक्ष के आरोपों को हमेशा नकारा गया और ये तर्क दिया गया कि असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का आप आंकलन नहीं कर सकते हैं.
सरकार ने उदाहरण के तौर पर पकौड़े तलने को भी रोजगार बताया था जिसके बाद से देश में रोजगार को लेकर पकौड़ा पॉलीटिक्स, पकौड़ा नॉमिक्स जैसी चीजे चीजें जमकर चलीं और लोकसभा चुनाव पूरे होने तक उठाई जाती रहेगी लेकिन इस बीच आयकर विभाग की रिपोर्ट निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकती है.
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