नई दिल्लीः भारत में फेक न्यूज और मॉब लिंचिंग जैसी अफवाह फैलाने के मामलों में बड़ी ग्लोबल इंटरनेट औऱ सोशल मीडिया प्रमुखों को भी आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. सामने आई जानकारी के अनुसार ऐसी कंपनियों और सोशल मीडिया प्रमुखों को इस आधार पर आरोपी बनाया जा सकता है कि उनने प्लेटफॉर्म्स से फेक न्यूज सर्कुलेट हुई और हिंसा फैलाने वाले अभियान चलाए गए. गौरतलब है कि देश भर से सामने आ रही मॉब लिंचिंग और दूसरी हिंसात्मक घटनाओं के के पीछे सोशल मीडिया पर फैली फेक न्यूज की भूमिका सामने आई है.
गृह सचिव राजीव गाबा के अध्यक्षता वाली अंतर मंत्रालयी समिति ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है. समिति ने सदस्यों ने जांच में पाया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं की एक बहुत बड़ी वजह सोशल मीडिया पर फैली अफवाह और फेक न्यूज है. ऐसा माना जा रहा है कि समिति न सभी चीजों की रोकथाम के लिए विचार कर रही है जिसके चलते फेक न्यूज फैलती है. जिससे सोशल मी़डिया के जरिए फेक न्यूज सर्कुलेट होने पर रोकक लगाई जा सके और हिंसात्मक घटनाएं ना हों.
हालांकि ऐसी कंपनियों पर फेक न्यूज के मामले में आपराधिक कार्रवाई अभी समिति के सुझाव बिंदुओं में से एक है अभी इस पर कोई अंतिम मुहर नहीं लगी हैै. इस पर आखिरी फैसला मंत्रिमंडल ही लेगा जो अपनी फाइनल रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगा. आपको बता दें कि कानून व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही कह चुके हैं कि फेक मैसेज फैलाने वाली कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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