भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी सोमवार रात एक ऐतिहासिक मिशन पर रवाना होगा. इसरो का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) सोमवार रात दो उपग्रहों एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 को 476 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित करेगा।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी सोमवार रात एक ऐतिहासिक मिशन पर रवाना होगा, जिसमें दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में जोड़ने और अलग करने (डॉकिंग और अनडॉकिंग) की तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। इस मिशन में सफलता हासिल करने के बाद भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। बता दें अभी तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने इस तकनीक में महारत हासिल की है.
इसरो का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) सोमवार रात दो उपग्रहों एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 को 476 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित करेगा। इन उपग्रहों के माध्यम से जनवरी 2025 के पहले हफ्ते में ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पेडेक्स) किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक को परखना है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह मिशन भारत को उन देशों की श्रेणी में शामिल करेगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में सफलता पाई है। यह तकनीक भारत के चंद्र मिशन, प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन और भविष्य के अन्य अभियानों में उपयोगी साबित होगी।”
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य लो-अर्थ ऑर्बिट में दो छोटे उपग्रहों को जोड़ने और अलग करने की तकनीक को परखना है। यह मिशन यह भी साबित करेगा कि डॉक किए गए उपग्रहों के बीच ऊर्जा का आदान-प्रदान कैसे किया जा सकता है। साथ ही बता दें एसडीएक्स-01 उपग्रह हाई-रेजोल्यूशन कैमरा (HRC) से लैस है, जबकि एसडीएक्स-02 में मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड (MMX) और रेडिएशन मॉनिटर (रेडमॉन) जैसे टूल्स मौजूद हैं। ये पेलोड प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, वनस्पति अध्ययन और कक्षीय विकिरण का मापन करेंगे। वहीं इसरो का यह मिशन भारत को अंतरिक्ष तकनीक में नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। यह मिशन अंतरिक्ष में भारत की तकनीकी क्षमता को मजबूत करेगा।
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