ISRO PSLV C45 With EMISAT Launch: इसरो ने नया इतिहास रचते हुए पीएसएलवी सी45 लॉन्च कर दिया है. इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया. इसके साथ ही एमिसैट और 28 ग्राहकों की सैटेलाइट भी भेजी हैं.
नई दिल्ली. ISRO EMISAT PSLV C-45 Launch भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने सोमवार सुबह 9.27 पर इतिहास रचते हुए पीएसएलवी सी45 को लॉन्च कर दिया है. इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है. इसके जरिए अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट्स स्थापित की जाएंगी. ये मिशन 180 मिनट तक चलेगा. इस पीएसएलवी सी45 विमान में एमिसैट भेजी जा रही है. इस एमिसैट की मदद से भारत दुश्मनों के रडार आसानी से ढूंढ पाएगा. इसके अलावा 28 और सैटेलाइट इस पीएसएलवी सी45 में भेजी गई हैं.
इसरो ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पीएसएलवी के लॉन्च की उलटी गिनती रविवार सुबह 6:27 बजे शुरू हुई. यह श्रीहरिकोटा के लिए 71वां लॉन्च वाहन मिशन है. ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने आम लोगों को लॉन्च देखने के लिए आमंत्रित किया है.
#WATCH Sriharikota: ISRO's #PSLVC45 lifts off from Satish Dhawan Space Centre, carrying EMISAT & 28 customer satellites on board. #AndhraPradesh pic.twitter.com/iQIcl7hBIH
— ANI (@ANI) April 1, 2019
इसरो के इस मिशन में पीएसएलवी सी 45 तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट्स स्थापित करेगा. इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा, हम जो लक्ष्य बना रहे हैं, वह मिशन पीएसएलवी सी45 है. यह मिशन इस मायने में खास है कि पहली बार ये पीएसएलवी का एक ही उड़ान में तीन-कक्षीय मिशन होगा. पीएसएलवी को आज लॉन्च किया गया तो विशेषज्ञों को डर था कि पिछले हफ्ते इसरो द्वारा किए गए एक और मिशन से उत्पन हुए सैटेलाइट के मलबे के कुछ 300 टुकड़ों इस पीएसएलवी से टकरा सकते हैं.
🇮🇳 #ISROMissions 🇮🇳
All set for today's launch!
In an hour (9:27 am IST), #PSLVC45 will lift off from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota carrying #EMISAT and 28 customer satellites on board.
Our updates will continue. pic.twitter.com/4caRxmvRjY
— ISRO (@isro) April 1, 2019
बता दें कि पीएसएलवी में भेजी गई एमिसैट का लक्ष्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है, जो 749 किमी की कक्षा में लिफ्ट से लगभग 17 मिनट की दूरी पर है. इस प्रक्षेपण में अमेरिका, स्विट्जरलैंड, लिथुआनिया और स्पेन के 28 छोटे उपग्रह भी शामिल हैं. इस मिशन में, रॉकेट के अंतिम हिस्से को अंतरिक्ष कबाड़ बनने से पहले कई हफ्तों तक जीवित रखा जाएगा और इसका उपयोग कक्षीय मंच या परिक्रमा अंतरिक्ष प्रयोगशाला के रूप में किया जाएगा जहां तीन उपकरण रॉकेट मोटर से जुड़े होते हैं.