नई दिल्ली : इसरो को आज बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. बता दें कि इसरो का पुन: रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का परीक्षण सफल रहा, और कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में शुक्रवार यानि आज सुबह करीब 7.10 बजे इसरो का रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक सफलतापूर्वक ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ. बता […]
नई दिल्ली : इसरो को आज बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. बता दें कि इसरो का पुन: रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का परीक्षण सफल रहा, और कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में शुक्रवार यानि आज सुबह करीब 7.10 बजे इसरो का रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक सफलतापूर्वक ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ. बता दें कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल सफल लैंडिंग के अवसर पर इसरो ने एक बयान जारी कर कहा कि इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल में काफी बड़ी कामयाबी हासिल की है.
पिछले परीक्षणों के आधार पर इसरो ने अब आरएलवी के एयरफ्रेम स्ट्रक्चर और लैंडिंग गियर की संरचना को पहले से अधिक मजबूत बना दिया है, जिससे रॉकेट लैंडिंग के दौरान अधिक वजन ले जा सकेगा, और पुष्पक रीलॉन्च मिशन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और इसरो लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर और सबसिस्टम यूनिट के सहयोग से चलाया गया. इस प्रोजेक्ट में वायुसेना ने भी हिस्सा लिया. साथ ही रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक इसरो की सबसे परिष्कृत चुनौतीपूर्ण में से एक है. इस तकनीक की मदद से इसरो के अंतरिक्ष अभियानों की लागत कम हो होगी. दरअसल रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेस्टिंग फ्लाइट का पहला परीक्षण 23 मई 2016 को श्रीहरिकोटा में किया गया था.
1. RLV एक स्वदेशी स्पेस शटल है, जो कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं.
2. इसके द्वारा सैटेलाइट भी लॉन्च किए जा सकते हैं, और ये सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़कर वापस आएगा, ताकि फिर से उड़ान भर सके.
3. इसके साथ ही इससे किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवा सकते हैं. यहां तक की हमले भी किए जा सकते हैं.
4. दरअसल ये अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद भी कर सकते हैं.
5. ये एक ऑटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है, और ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) भी चला सकते हैं.
6. पुष्पक विमान की लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन 1.75 टन है, इसे इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से उड़ाया जाएगा.