ISRO Chandrayaan 2 Vikram Lander: इसरो चीफ चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 2.1 किलोमीटर पहले ही संपर्क टूट जाने से भारतीयों में निराशा है. इसरो चीफ के सिवान ने शनिवार शाम एक इंटरव्यू में बताया कि भारत का मून मिशन चंद्रयान 2, 100 प्रतिशत सफलता के बहुत करीब है. विक्रम लैंडर से संपर्क जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसरो अगले 14 दिनों तक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश करेगा. साथ ही चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर में अतिरिक्त ईंधन मौजूद है जिसके जरिए उसे साढ़े सात साल तक काम में लाया जा सकता है. ऑर्बिटर में लगे हाई रेजोल्यूशन कैमरा लगे हैं जो चांद की सतह पर मौजूद विक्रम लैंडर के बारे में पता लगाने में मदद कर सकते हैं.
नई दिल्ली. भारत के मून मिशन चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर से चांद की सतह पर उतरने से महज 2.1 किलोमीटर पहले ही संपर्क टूट जाने से भारतीयों को निराशा हुई है. हालांकि सभी लोग इसरो की हिम्मत की दाद दे रहे हैं और भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की तारीफ कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें निराश नहीं होने की बात कही थी. इसी बीच इसरो के चेयरमैन के सिवान ने चंद्रयान-2 के बारे में एक नया अपडेट दिया है. उन्होंने कहा कि हम अगले 14 दिनों तक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश करेंगे. हमारी उम्मीदें अभी भी जिंदा हैं. इसरो चीफ का कहना है कि चंद्रयान 2 मिशन 100 प्रतिशत सफलता से बहुत करीब है.
डीडी न्यूज को शनिवार शाम दिए इंटरव्यू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के सिवान ने बताया कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. हालांकि हमारे पास ऑर्बिटर में अतिरिक्त ईंधन है. जिससे उससे करीब साढ़े सात साल तक चलाया जा सकेगा. ऑर्बिटर में हाई रेज्योलुशन कैमरा लगे हैं जो चंद्रमा पर मौजूद किसी भी पदार्थ की तस्वीर लेने में सक्षम हैं. ऑर्बिटर के जरिए भी विक्रम लैंडर का पता लगाया जा रहा है.
के सिवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उन्होंने हमें हर तरह से सपोर्ट किया है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि विज्ञान कभी भी परिणाम के लिए काम नहीं करता, बल्कि प्रयोग और सिर्फ प्रयोग ही परिणाम तक ले जाते हैं.
हालांकि इसरो चीफ ने माना कि चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के आखिरी स्टेज सही से पूरी नहीं की गई थी. जिसके परिणामस्वरूप हमने विक्रम लैंडर से संपर्क खो दिया और उससे दोबारा संपर्क नहीं हो पा रहा है.