ISRO Bahubali GSLV Mk III Rocket Chandrayaan 2 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को लॉन्च करने जा रहा है. इस मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव की सतह पर लैंडर उतारा जाएगा. इससे पहले चीन के चांग ई-4 यान ने दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैंडिंग की थी.
नई दिल्ली. ISRO Bahubali GSLV Mk III Rocket Chandrayaan 2 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 जुलाई, सोमवार को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तैयारी कर रहा है. चंद्रयान-2 भारत का दूसरा मून मिशन है. सबसे अहम और दिलचस्प बात ये है कि पहली बार भारत चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर उताने जा रहा है. इस मिशन के पीछे की वजह बेहद खास है. दरअसल वहां पर चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह, वातावरण, विकिरण और तापमान के बारे में गहन अध्ययन और जानकारी जुटाएगा. इसे तैयार करने में करीब 11 वर्ष लग गए. इसे तैयार करने के पीछे हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और लगन छुपी है.
बता दें कि भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्र अभियान लॉन्च किया था. चंद्रयान-2 की असली वजह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है, जहां पानी होने की संभावना अधिक है. दरअसल, इसके ज्यादातर क्षेत्र में छाया है, जिसका सीधा सा मतलब है कि उस स्थान पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है.
चंद्रयान-1 की प्रमुख खोज: चंद्रयान-1 की सबसे अहम खोज ये थी कि चंद्रमा की सतह पर पानी है. इसके साथ चंद्रमा की चट्टानों में मैग्नीशियम और लोहे के पाए जाने ने संकेत भी चंद्रयान-1 ने ही दिए थे. लगभग एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की कीमत से इस मिशन को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) एमके- III रॉकेट से 15 जुलाई को सुबह 02.51 मिनट पर अंतरिक्ष में भेजा जाना है. जिसके लिए वैज्ञानिक पिछले कई समय से लगे हुए हैं.
इस बीच वैज्ञानिक के लिए बुरी खबर सामने आई है. नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार ISRO के वैज्ञानिकों की सैलरी काटने में जुटी है. केंद्र सरकार ने 12 जून 2019 को एक आदेश जारी कर कहा है कि 1 जुलाई 2019 से यह प्रोत्साहन राशि बंद हो जाएगी. मोदी सरकार के इस आदेश के बाद D, E, F और G श्रेणी के वैज्ञानिकों को यह प्रोत्साहन राशि अब नहीं मिलेगी.