नई दिल्लीः इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस जंग में दोनों तरफ से लोगों की जानें जा रही हैं। इसी बीच 57 मुस्लिम देशो के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को ऑपरेशन यानि कि इस्लामी सहयोग संगठन की कार्यकारी समिति की बैठक बुधवार को सऊदी अरब के जेद्दा में हुई। इस बैठक में […]
नई दिल्लीः इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस जंग में दोनों तरफ से लोगों की जानें जा रही हैं। इसी बीच 57 मुस्लिम देशो के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को ऑपरेशन यानि कि इस्लामी सहयोग संगठन की कार्यकारी समिति की बैठक बुधवार को सऊदी अरब के जेद्दा में हुई। इस बैठक में गाजा में अस्पताल पर हुए मिसाइल अटैक को लेकर इजरायल की कठोर आलोचना की गई और प्रतिबंध लगाने की बात की गई।
दरअसल, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की कार्यकारी समिति की बैठक में इजरायल की आक्रामकता पर कड़ा ऐतराज जताया गया। ओआईसी महासचिव ने गाजा अस्पताल में हुए धमाकों को लेकर इजरायल की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि यह एक युद्ध अपराध है। महासचिव ने यह भी कहा कि मैं इस बात पर जोर देता हूं कि फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ आक्रामकता की नीति जारी रहने से सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा नहीं मिलेगा, बल्कि हिंसा और नफरत का चक्र भड़क जाएगा।
वहीं बैठक में फिलिस्तीनी मंत्री रियाद अल मलिकी ने कहा कि गाजा के अल अहली अरब अस्पताल में इजरायल के नरसंहार से मानवता को चोट पहुंची है। बेसकूर महिलाओं और बच्चों की हत्या जानबूझकर किया गया अपराध था। जो लोग इजरायल का समर्थन करते हैं वे जिम्मेदार हैं, उनके हाथ फिलिस्तीनी खून से भरे हुए हैं।
सऊदी अरब में हुई ओआईसी की बैठक
असल में मंगलवार देर रात गाजा अस्पताल में हुए विस्फोट में फिलिस्तीनियों के मारे जाने के बाद बढ़ते इजराइली- फिलिस्तीनी संघर्ष पर चर्चा के लिए सऊदी शहर जेद्दा में ओआईसी की बैठक हुई. ईरानी विदेश मंत्रालय ने बैठक को लेकर कहा कि विदेश मंत्री ने इस्लामिक देशों द्वारा इजरायल पर तत्काल और पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है, जिसमें इजरायली राजदूतों को निष्कासित करने के अलावा तेल प्रतिबंध भी शामिल हैं।
आईओसी के बारें में जानिए
मालूम हो कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक का मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दा शहर में स्थित है। यह 57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है। ओआईसी में गल्फ कंट्री सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों को शामिल किया गया है। इसका मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाते हुए मुसलमानों को सुरक्षा प्रदान करना है। चार महाद्वीपों के 57 देशों वाला यह संगठन करीब 1.5 अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और इसके सदस्य देशों की कुल जीडीपी लगभग 7 ट्रिलियन डॉलर है।