नई दिल्लीः ईरान के द्वारा इजरायल पर हमला किए जाने के बाद रविवार यानी 15 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक आनन-फानन में बुलाई गई। इस बैठक में ईरान के राजनयिक भी शामिल हुए थे। बैठक में ईरान ने इजरायल पर हुए हमले का बचाव करते हुए सफाई दी कि उनके पास कोई […]
नई दिल्लीः ईरान के द्वारा इजरायल पर हमला किए जाने के बाद रविवार यानी 15 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक आनन-फानन में बुलाई गई। इस बैठक में ईरान के राजनयिक भी शामिल हुए थे। बैठक में ईरान ने इजरायल पर हुए हमले का बचाव करते हुए सफाई दी कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था उन्हें हमला करना पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के राजदूत आमिर सईद इरवानी ने कहा कि इस्लामिक गणराज्य ईरान ने आत्मरक्षा के अधिकार के तहत इजरायल पर हमला किया। इजरायल के द्वारा दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहा। ऐसे में उनके पास हमला करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। साथ ही ईरानी राजनयिक ने कहा कि उनका देश नहीं चाहता कि संघर्ष बढ़े लेकिन अगर कोई आक्रामक हुआ तो जवाब देंगे।
वहीं संयुक्त राष्ट्र की बैठक में इजरायल के राजनयिक ने ईरान पर गंभीर आरोप लगाए है। इजरायल ने अशांति के लिए ईरान पर आरोप लगाते हुए कहा कि ईरान का मुखौटा उतर चुका है। वह दुनियाभर में आतंकवाद को घोषित करता है और क्षेत्र में अशांति के लिए ईरान जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि ईरानी सेना को आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने चाहिए।
बता दें कि शनिवार को ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन्स और मिसाइलों से सीधा हमला किया। हालांकि इस मामले में इजरायल को खास नुकसान नहीं हुआ और इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम से करीब सारी मिसाइलों और ड्रोन्स को इंटरसेप्ट कर हवा में मार गिराया था। इसमें इजरायल को अमेरिका, जॉर्डन और ब्रिटेन से भी मदद मिली है। वहीं ईरान का कहना है कि इजरायल ने हमारे वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था, जिसमें सेना के सात अधिकारी मारे गए थे।
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