नई दिल्ली: धर्म और हिंसा का नाम आते ही हम चौंकन्ना हो जाते हैं, क्योंकि यह नाम ही कुछ ऐसा है. आपने कई बार तो देखा ही होगा कि धर्म के बगैर अगर कोई बात होती है, तो बात कत्ल तक पहुंच जाती है. वहीं इस्लाम धर्म में कई ऐसे शब्द हैं, जिसे समय के साथ-साथ बदलाव किया गया है. वहीं वो शब्द बदलने के बाद दंगों का रूप ले लेते हैं. जैसे कि जिहाद, काफिर और मुनाफिक जैसे कई शब्द हैं, जो कई बार हिंदू-मुस्लिम के झगड़े का कारण बनते हुए देखा गया है.
वहीं अगर ये कहा जाए कि लोग इन शब्दों का इस्तेमाल गाली की तरह कर रहे हैं, तो शायद ये गलत होगा. कोई भी धर्म हिंसा करने की इजाजत नहीं देता है. बता दें कि हिंसा करने वाले लोग धर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं. उसी तरह से वो इन शब्दों का गलत मतलब समझ कर हिंसा पर उतर जाते हैं. अक्सर कुछ लोगों को देखा गया है कि वो अपने स्वार्थ के लिए धार्मिक शब्दों का गलत इस्तेमाल करते हैं और उन्हें एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
इस्लाम में जिहाद का शाब्दिक अर्थ है संघर्ष या प्रयास. इस्लाम में जिहाद का अर्थ है कि अपने अहंकार के खिलाफ लड़ाई और इस्लाम की रक्षा करना, लेकिन अभी के समय में जिहाद शब्द का उपयोग आतंकवाद से जोड़कर किया जाता है, जो ये सरासर गलत हैं.
इस्लाम में काफिर उन्हें कहा जाता है जो इस्लाम में विश्वास नहीं करता है. काफिर के शाब्दिक अर्थ होता है छिपाने वाला या इनकार करने वाला, लेकिन अभी के समय में दूसरे धर्म के लोग इसे गलत समझ जाते हैं.
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