क्या हवाई जहाज के चलते बढ़ रही है गर्मी, जानें हकीकत

नई दिल्ली: अगर वायु प्रदूषण की बात करें तो कोई इसे गाड़ियों और अन्य चीजों से निकलने वाले धुएं का जिम्मेदार बताया जाएगा। कोई एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर से निकलने वाले धुएं को इसकी वजह बताएगा, तो कोई पेड़ों की कटाई को जिम्मेदार ठहराएगा। हालांकि ये सभी कारण सही भी हैं। वायु प्रदूषण में बढ़त […]

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क्या हवाई जहाज के चलते बढ़ रही है गर्मी, जानें हकीकत

Amisha Singh

  • May 8, 2023 5:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: अगर वायु प्रदूषण की बात करें तो कोई इसे गाड़ियों और अन्य चीजों से निकलने वाले धुएं का जिम्मेदार बताया जाएगा। कोई एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर से निकलने वाले धुएं को इसकी वजह बताएगा, तो कोई पेड़ों की कटाई को जिम्मेदार ठहराएगा। हालांकि ये सभी कारण सही भी हैं। वायु प्रदूषण में बढ़त के लिए भूमि परिवहन के साथ-साथ वायु यातायात भी जिम्मेदार है। आपने शायद ही सोचा होगा कि हवाई जहाज भी प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन ऐसा होता है।

 

➨ प्लेन से निकलने वाले कंट्रेल्स से बनती है परत

उड़ान के दौरान, जब विमान ईंधन जलता है तो बनने वाले कॉन्ट्रेल्स में मिट्टी का तेल होता है। लगभग 12 किमी की ऊंचाई पर तापमान कम होने के कारण ये घंटों तक बर्फ के क्रिस्टल के रूप में हवा में रहते हैं। ग्रीनहाउस गैसों की तरह ये कंट्रेल्स भी वातावरण में गर्मी को रोक लेते हैं। कुछ रिसर्च के मुताबिक, ये कॉन्‍ट्रेल्‍स कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले में 1.7 गुना अधिक खतरनाक हैं। यह तो साफ़ है कि हमारे वातावरण पर हवाई यातायात का भी खराब असर पड़ता है।

 

➨ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार

जैसे अन्य वाहन हवा को प्रदूषित करते हैं और ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाते हैं। इसी तरह हवाई यातायात भी ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, कोरोना फैलने से पहले, ग्रीन हाउस गैस ज़्यादा थी हालांकि कोरोना काल में जब कई उड़ानें रद्द हुईं तो इसमें कमी आई। लेकिन, अब जब स्थिति सामान्य हो रही है तो यह फिर से बढ़ रही है।

 

➨ उपाय क्या है ?

अब सवाल यह है कि आप प्लेन से निकलने वाले कॉन्ट्रेल्स बनने से कैसे बच सकते हैं? ऐसा करने के लिए, विमान को कथित तौर पर लगभग 1000 मीटर नीचे उतरना होगा। दरअसल, इस ऊंचाई पर तापमान हल्का कम होता है। इसी तरह, उड़ानें इन रूट्स के जरिए जा सकती, जहां मौसम कॉन्‍ट्रेल्‍स बनने में मदद नहीं करता हो। ऐसे रूट्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सैटेलाइट के जरिए मदद ली जा सकती हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। इससे ग्‍लोबल वार्मिंग 30 से 80 फ़ीसदी तक की कमी लाई जा सकती है।

 

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