क्या शादी करना सेक्स का लाइसेंस है? जानिए महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न के आंकड़े

नई दिल्ली: क्या शादी करने से जीवनसाथी को जिस्मानी रिश्ता बनाने का लाइसेंस मिल जाता है. भारत जैसे देश में औरतों की स्थिति काफी दयनीय है. आलम ये है कि भारतीय समाज में एक औरत के शादी कर लेने का मतलब उसके पति की हर ख्वाहिश पूरी करने का हक़ समझा जाता है. क्या शादी […]

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क्या शादी करना सेक्स का लाइसेंस है? जानिए महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न के आंकड़े

Amisha Singh

  • December 15, 2022 5:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: क्या शादी करने से जीवनसाथी को जिस्मानी रिश्ता बनाने का लाइसेंस मिल जाता है. भारत जैसे देश में औरतों की स्थिति काफी दयनीय है. आलम ये है कि भारतीय समाज में एक औरत के शादी कर लेने का मतलब उसके पति की हर ख्वाहिश पूरी करने का हक़ समझा जाता है. क्या शादी करने का मतलब औरत अपने पति को न नहीं कह सकती? आपको बता दें, हमारे देश भारत में हर 25 में से एक महिला को अक्सर उसके पति द्वारा यौन हिंसा यानी कि सेक्सुअल एब्यूज का शिकार होना पड़ता है. हमारे समाज के लोग ‘सहमति’ यानी कंसेंट का मतलब नहीं जानते हैं. और अगर आप एक शादीशुदा महिला है तो फिर शायद आपको अपने पति को न कहने का हक़ आपसे छीन जाता है.

 

• “शादी और सेक्स” की अवधारणा

 

किसी औरत या लड़की के साथ शादी करने का हरगिज़ ये मतलब नहीं होता कि आप उसकी मर्ज़ी के बिना उसके साथ कुछ भी करें। इसी को मैरिटल रेप बोलते हैं. हमारा देश भारत ऐसा देश है जहां पर महिलाओं को देवी माना जाता है लेकिन जब बात उसी महिला के साथ अत्याचार, शारीरिक उत्पीड़न की हो तब कोई आवाज़ नहीं उठाता है. ज़रा आप खुद सोचिये जब अपना ही पति संबंध बनाते समय बलात्कारी लगने लगे तब उस महिला की मानसिक स्थिति और कष्ट का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है.

 

• मैरिटल रेप / वैवाहिक बलात्कार

 

भारत में मैरिटल रेप को गुनाह या जुर्म नहीं माना जाता। हमारे देश में, लड़की को यही सिखाया जाता है कि उसका पति उसके लिए परमेश्वर है. अपने पति को खुश करना ही तो उसकी ज़िन्दगी का फर्ज है. बलात्कार का मतलब होता है जबरन यानी कि जबरदस्ती किसी के साथ दुष्कर्म करना। आइये आपको दुष्कर्म को धारा 375 के हवाले से और अच्छे से समझाते हैं:

 

• किन मायनों में दुष्कर्म तय होता है?

 

IPC की धारा 375 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी महिला के साथ किसी भी तरीके की यौन क्रिया करता हो तो इसे दुष्कर्म तब समझा जाता है:

नंबर 1. जब यह महिला की मर्ज़ी के खिलाफ हुआ हो,
नंबर 2. उस महिला की राज़मन्दी के बिना,
नंबर 3. जब उस महिला को डरा-धमकाकर उसे मजबूर किया गया हो,
नंबर 4. शादी का झाँसा देकर,
नंबर 5. फिर महिला को नशीले पदार्थ के जरिये उसका यौन उत्पीड़न करना।
नंबर 6. जब युवती/महिला ने राज़मन्दी तो दी लेकिन वो बालिग नहीं हो यानी कि उसकी उम्र 18 साल से कम हो.
नंबर 7. आखिर में जब वह युवती/महिला मूक-बधिर हो.

 

• शादी के बाद न कहने का हक़

अब आपको ये तो समझ आ गया होगा कि कहीँ पर भी ये नहीं लिखा कि एक पति अपनी बीवी के साथ दुष्कर्म नहीं कर सकता। शादी के बाद भी अपनी बीवी के साथ जबरन जिस्मानी रिश्ता कायम करना भी अपराध है. अभी बीते दिनों भी UP के अमरोहा ज़िले से भी ऐसा ही दिल दहला देने वाला वाकया सामने आया था जहाँ पर एक बीवी ने अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर ऐतराज़ जताया तो पति ने बीवी का गला घोंट क़त्ल कर दिया।

 

• समाज की मनोस्थिति

 

आज भी देश के कई हिस्सों में महिलाओं को दबाया जाता है और जब वे इस बारे में बात करना चाहती हैं तो समाज इस बात को स्वीकार नहीं करता कि एक पति अपनी बीवी का बलात्कार कर सकता है. अरे भाई उसने तो शादी की है भला दो मियां-बीवी के बीच में बलात्कार जैसी चीज़ कैसे शामिल हो सकती है.

 

• इन राज्यों में सबसे ज्यादा उत्पीड़न

 

आकड़ों की बात करें तो करीबन 70 फीसदी शराबी पति अपनी बीवियों के साथ यौन हिं‍सा करते हैं. कर्नाटक समेत बिहार, मणिपुर, तमिलनाडु और तेलंगाना देश के ऐसे टॉप 5 राज्‍य हैं जहां पर महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा अंजाम दी जाती है.

 

• इसके आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं:

• कर्नाटक- 44 फीसद
• बिहार- 40 फीसद
• मणिपुर- 40 फीसद
• तमिलनाडु- 38 फीसद
• तेलंगाना- 37 फीसद
• उत्तर प्रदेश- 35 फीसद

 

• महिलाओं को जागरूक होना ज़रूरी

शारीरिक संबंध दो लोगों के बीच एक गहरे भरोसे, रिश्ते और आपसी सहमति को बयां करता है ऐसे में सिर्फ एक की ही मर्ज़ी होना जायज़ क्यों? अमूमन एक औरत ने शादी के बाद कभी न कभी अपनी जीवन में एक बार शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना को अनुभव ज़रूर किया होता है. पुरुष वर्ग अपने आप को महिला पर बेहद हकदार महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि भले ही उनकी बीवी सेक्स के लिए ना कहें, वो इसपर सवाल उठा सकते हैं. ऐसे में हमें महिलाओं को जागरूक करने की ज़रुरत है ताकी हमारे देश की हर महिला को पता चले कि वे जिस दौर से गुजर रही हैं वह सामान्य नहीं है।

 

 

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