नई दिल्ली। आईएनएस मोरमुगाओ आज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आधुनिक हथियारों से लैस इस युद्धपोत को इंडियन नेवी को सौंपा। बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच इस युद्धपोत का भारतीय नौसेना में शामिल होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा […]
नई दिल्ली। आईएनएस मोरमुगाओ आज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आधुनिक हथियारों से लैस इस युद्धपोत को इंडियन नेवी को सौंपा। बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच इस युद्धपोत का भारतीय नौसेना में शामिल होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
INS मोरमुगाओ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है। ये भारत की समुद्री क्षमता में बढ़ोतरी करेगा: मुंबई में भारतीय नौसेना आयोग द्वारा स्वदेशी रूप से निर्माण मिसाइल विध्वंसक INS मोरमुगाओ के कमीशनिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह pic.twitter.com/JH893SDKZB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 18, 2022
आईएनएस मोरमुगाव की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और 7500 टन का डिस्प्लेसमेंट है। इस जहाज को चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों से काम करने की ताकत मिलेगी। इस क्षमता से यह युद्धपोत 48 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार के साथ जंग के हालात में काम कर सकता है। इस युद्धपोत के भारतीय नौसेना में आने के बाद भारत की शक्ति में तीन गुना बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
आधुनिक हथियारों से सुसज्जित भारत में ही बनी मिसाइल विध्वंस आईएनएस मोरमुगाओ ने आज भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त कर लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में आधुनिक सेंसर और रडार से सुसज्जित युद्धपोत भारतीय नौसेना को सौंप दिया हैं। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दख़ल के मद्देनज़र इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है, ताकि इसकी मदद से दुश्मनों के मंसूबों को तबाह किया जा सके।
बता दें कि मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड पर बनाए गए आईएनएस मोरमुगाओ में कई लाजवाब सैन्य क्षमताएं हैं। इस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर को नए ज़माने की लड़ाईयों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों के बेड़े का सबसे ख़तरनाक और लंबी दूरी तक दुश्मन का पीछा करके मारने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी यह है कि इसकी बाहरी परत को एक ख़ास किस्म के स्टील की मदद से बनाया गया है, जिससे की युद्ध की स्थिती में दुश्मन देश के राडार इसकी स्थिती का सटीक अंदाज़ा न लगा पाएं और भारतीय सेना बिना दुश्मन की नज़र में आए अपने मिशन को पूरा कर सके।
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