बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. फिल्मों के बाद अब सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय डिजिटल प्लेटफॉर्म में भी सेंसर लागू करने पर विचार कर रहा है. आज अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स जैसे कई ओटीटी चैनल है जो बिना किसी फिल्टर के साथ दर्शकों को पेश किया जाता है. लेकिन अगर यह योजना अमल में लाई जाती है तो, वेब सीरीज को सेंसर सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा और फिर नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम तथा अन्य ओटीटी चैनल में बीप की आवाज सुनाई देगी. अब तक डिजिटल की तमाम प्लेटफॉर्म को इस बात की स्वतंत्रता थी कि, वह अपनी कला को सीधे तौर पर दर्शकों के पास पहुंचाये.
पिछले कुछ वर्षों में डिजिटस माध्यम युवाओं के मनोंरजन का बड़ा माध्यम बनकर उभरा है. इसका कारण है इसके कंटेंट पर किसी तरह का रोक नहीं होना. डिजिटल प्लेटफॉर्म ने मनोरंजन की दुनिया में बदलाव लाया और साथ ही दर्शकों को आकर्षित करने का भी काम किया. आज अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स, जी5 जैसे कई ओटीटी प्लेटफॉर्म है, जो डिजिटल माध्यम से दर्शकों को बिना किसी फिल्टर के साथ अपनी कला और कहानियों को पेश करते हैं.
भारत में सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले एक विशेष वर्ग द्वारा मिलकर बैन नेटफ्लिक्स नामक हैशटैग अभियान चलाया गया जिसमें आरोप लगाया गया कि उसके शो और फिल्म में भारत की छवि को खराब दिखाया जा रहा है. यह तब शुरू हुआ जब हिंदू कार्यकर्ता और शिवसेना सदस्य रमेश एन सोलंकी के मुंबई स्थित एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
शिवसेना ने नेटफ्लिक्स पर गलत छवि पेश करने को लेकर एक शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा कि, नेटफ्लिक्स इंडिया की हर सीरिज में भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद यह मुद्दा इतना गंभीर हो गया कि उस दिन ट्विटर पर हैशटैग #BanNetflixInIndia ट्रेंड करने लगा.
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