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Indira Gandhi Death Anniversary: डॉक्टर कर रहे थे इंदिरा गांधी का इंतजार लेकिन पहुंचे आयरन लेडी के हत्यारे

Indira Gandhi Death Anniversary: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बुधवार को 34वीं पुण्यतिथि है. ऐसे में उनकी हत्या से जुड़ी एक अजीब वाकया हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह जब उनकी हत्या की खबर के बाद राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर्र उनका इंतजार कर रहे थे लेकिन अस्पताल में उनके हत्यारे ही इलाज कराने आ पहुंचे.

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Indira Gandhi Death Anniversary: डॉक्टर कर रहे थे इंदिरा गांधी का इंतजार लेकिन पहुंचे आयरन लेडी के हत्यारे
  • October 31, 2018 10:49 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. ये भी हैरतअंगेज था कि जिस राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर इंदिरा गांधी का इंतजार कर रहे थे, वहां पहुंच गए उनके हत्यारे बेअंत सिंह और सतवंत सिंह. ये सही घटना है जिसे सालों बाद उस आरएमएल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने मीडिया के साथ शेयर किया. सोचिए इंदिरा गांधी के हत्यारों को देखकर उन डॉक्टर्स पर क्या गुजरी होगी. वो भी तब जब उनको पता चल चुका था कि इंदिरा गांधी की एक घंटे पहले हत्या हो चुकी है.

जैसे ही इंदिरा गोलियां खाकर नीचे गिरीं, गोलियों की आवाज सुनकर सोनिया गांधी अंदर से भागती हुई आईं. इंदिरा के थोड़ा पीछे चल रहे आरके धवन सदमे में थे. पीएम आवास के डॉक्टर आर ओपेह पहुंचे. पीएम आवास पर तैनात एम्बुलेंस के डॉक्टर को खोजा गया लेकिन नहीं मिला तो एक दूसरी ऑफिशियल सफेद एंबैसडर कार से इंदिरा को लेकर एम्स पहुंचे. सोनिया की गोद मे खून से लथपथ इंदिरा का सर था.

इधर इंदिरा को बचाने की कोशिशें चल रहीं थी, उधर 11 बजकर 25 मिनट पर तुगलक रोड थाने में नारायण सिंह के बयान के आधार पर केस दर्ज हो गया. इंदिरा की हत्या के बाद सतवंत और बेअंत ने हथियार डाल दिए और जब उन दोनों को आईटीबीपी के जवानों ने गोलियों से भून दिया तो उसके बाद दोनों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया.

राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के डॉक्टर्स को ऊपर से फोन आया था कि इंदिरा गांधी को गोली लगी है और उन्हें इलाज के लिए वहां लाया जा रहा है. फौरन कुछ सीनियर डॉक्टर्स को गेट के बाहर पहुंचने के लिए कहा गया. लेकिन जब इंदिरा की जगह उनके हत्यारों को लाया गया तो डॉक्टर्स चौंके. वैन से उतरते ही स्ट्रेचर पर लेटा सतवंत पंजाबी में जोर से चिल्लाया, ‘शेरा वालां काम कर दित्ता, मैं उना नूं मार दित्ता’. डॉक्टर्स हैरान थे और गुस्सा भी लेकिन डयूटी तो करनी ही थी. सतवंत के पेट से ऑपरेशन करके दो गोलियां बाहर निकाली गईं.

एम्स में इंदिरा गांधी को बचाना काफी मुश्किल लग रहा था. 1 बजे बीबीसी ने खबर प्रसारित कर दी. राजीव गांधी को बीबीसी के जरिए खबर मिली. हालांकि कुछ लोग कहते हैं राजीव को पहले ही सूचना दे दी गई थी. राजीव कोलकाता के पास थे. उन्हें एयरफोर्स के विशेष विमान से दिल्ली लाया गया. डॉक्टर सफया ने करीब 2 बजकर 23 मिनट पर इंदिरा गांधी को मृत घोषित कर दिया.

ऐसे में जितना दुख था, उससे ज्यादा चिंता थी कि देश का लीडर कौन होगा? काफी मुश्किल था- पहले राजीव के नाम पर सबको राजी करना, फिर राजीव को उसी शाम शपथ के लिए मनाना जबकि मां की लाश भी घर नहीं आई थी. तीसरा और सबसे मुश्किल काम कांग्रेस के नेताओं को लगा कि क्या राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह राजीव गांधी के नाम पर सहमत होंगे जबकि इंदिरा गांधी से ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर वो नाराज थे. एयरपोर्ट पर ज्ञानी जैल सिंह को रिसीव करने के लिए अरुण नेहरू को भेजा गया और शाम को राजीव गांधी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली.

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