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मांसाहारी हो गई थी इंदिरा गांधी, मौत का पहले से था आभास, दोस्तों से करती थीं ये जिक्र

मांसाहारी हो गई थी इंदिरा गांधी, मौत का पहले से था आभास, दोस्तों से करती थीं ये जिक्र

नई दिल्ली: आज यानी गुरुवार 31 अक्टूबर को पूरा देश इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी उर्फ ​​इंदिरा गांधी की 40वीं पुण्यतिथि मना रहा है। इस मौके पर हम आपके लिए उनकी जिंदगी से जुड़े दो रोचक किस्से लेकर आए हैं। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जीवन जितना कठिन था, उतना ही रहस्यमय भी। सत्ता के शीर्ष पर रहते हुए, उनके जीवन में कई मोड़ आए। जहां वह अपने कड़े फैसलों के लिए जानी जाती थीं, वहीं निजी जीवन में उनकी रुचियां, बदलाव और मान्यताएं भी काफी चर्चा में रही हैं। एक ऐसा ही रोचक तथ्य है कि अपने अंतिम दिनों में इंदिरा गांधी ने मांसाहार की ओर रुझान बढ़ाया था, जिसका ज़िक्र उन्होंने कई बार अपने नज़दीकी दोस्तों से किया।

ऐसे बनी इंदिरा गांधी मांसाहारी

जानकारी के अनुसार इंदिरा गांधी ने लिखा है कि मैं बड़ों से पहले खाना खाती थी, इसलिए मुझे नहीं पता था कि उनका खाना मेरे खाने से अलग है। एक दिन मैं अपनी दोस्त लीला के घर खेलने गई और उसने मुझे दोपहर के भोजन के लिए रुकने के लिए कहा। रात के खाने में मांस परोसा गया। अगली बार जब मेरी दादी ने मुझसे पूछा कि मेरे लिए क्या मंगाया जाए, तो मैंने उन्हें लीला के घर पर खाई गई स्वादिष्ट नई सब्जी के बारे में बताया। इंदिरा जी ने लिखा है कि दादी ने सभी सब्जियों के नाम लिए लेकिन हमारे घर में ऐसी कोई सब्जी नहीं परोसी गई। अंत में लीला की मां को बुलाकर यह पहेली सुलझाई गई। इसके साथ ही मेरा शाकाहारी भोजन भी खत्म हो गया।”

पहले ही हो गया था मौत का आभास

इंदिरा गांधी के नज़दीकी सहयोगियों का कहना है कि अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने कई बार यह जिक्र किया था कि शायद उनकी जिंदगी ज्यादा लंबी नहीं होगी। उन्होंने एक बार कहा था, “मैं मरने के लिए तैयार हूं।” यह कहना दर्शाता है कि उन्हें शायद पहले से इस बात का आभास हो गया था कि उनकी जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है। इस बारे में उन्होंने कई बार अपने करीबी दोस्तों और सहयोगियों से चर्चा की थी। इंदिरा गांधी को ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खुफिया विभागों ने सूचना दी कि उनकी जान को खतरा है। इसके बाद सभी सिख सुरक्षा गार्डों को जो उनकी सुरक्षा में तैनात थे, सभी को हटा दिया गया, परंतु इंदिरा गांधी ने कहा कि सभी धर्मों के लोग उनके लिए एक समान हैं और वह हर धर्म का सम्मान करती हैं। इसी कारण उन्हें किसी से कोई खतरा नहीं है। इसके बाद सभी सुरक्षा गार्डों को वापस बुला लिया गया, लेकिन उस दिन के बाद से इंदिरा गांधी के चेहरे पर एक बेचैनी दिखाई देने लगी। वह अक्सर अपने घर में कुछ करीबी दोस्तों के साथ अपनी मौत पर चर्चा करने लगीं।

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