Indira Gandhi Emergency Anniversary: इंदिरा गांधी की इमरजेंसी में 25 जून 1975 की वो काली रात जब लोकतंत्र सस्पेंड था, देश दहशत में था और विपक्षी नेता जेल में कैद थे

Indira Gandhi Emergency Anniversary: 25 जून 1975 की वो काली रात जिस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी. जय प्रकाश नारायण समेत देश के तमाम दिग्गज विपक्षी नेताओं को जेल भेज दिया गया था. देश की जनता में अगली सुबह होने का डर था और इंदिरा गांधी के अगले कदम का इंतजार.

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Indira Gandhi Emergency Anniversary: इंदिरा गांधी की इमरजेंसी में 25 जून 1975 की वो काली रात जब लोकतंत्र सस्पेंड था, देश दहशत में था और विपक्षी नेता जेल में कैद थे

Aanchal Pandey

  • June 24, 2019 10:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. 44 साल पहले 25 जून 1975 की वो काली रात जिसपर बीती उसे याद करने में भी डर लगता है. भारतीय इतिहास की इस काली रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी का एलान किया था. ये सिर्फ देश की मुखिया का एलान नहीं बल्कि लोकतंत्र को बेड़ियों में बांधने वाला राजशाही फरमान था. आपातकाल की घोषणा से पहले देश सामान्य चल रहा था लेकिन बिहार के गांधी जय प्रकाश नारायण ने पूर्व पीएम मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, नाना जी देशमुख, अशोक मेहता समेत कई दिग्गजों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में इंदिरा गांधी, संजय गांधी और कांग्रेस सरकार के खिलाफ रामधारी सिंह दिनकर की कविता गाकर आंदोलन का झंडा बुंलद किया था. जो कविता थी ”उठते हैं तूफान, बवंडर भी उठते हैं, जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है, दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.”

जेपी की कविता की गूंज शायद प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठीं इंदिरा गांधी के कान में गूंज गई. आधी रात को देश में आपातकाल का एलान कर दिया गया. जिसके बाद देश की जनता और विपक्षी दलों के नेताओं पर मौलिक अधिकारों को स्थागित करने की आड़ में जमकर जुल्म ढहाए गए. आधी रात में ही देश के बड़े विपक्षी नेता और जेपी आंदोलन के नायक जय प्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस के साथ-साथ जनता दल के लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व पीएम चंद्रशेखर, दिवंगत नेता ताऊ देवीलाल, भैरों सिंह शेखावत, राज नारायण, बीजू पटनायक, डॉं मंगल सेन, सिंकदर बख्त, स्वामी इंद्रवेश समेत हजारों नेता और आंदोलन कर रहे लोगों की उठती आवाज को कुचलने के लिए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था.

इमरजेंसी लगाने के बाद बोली थीं इंदिरा गांधी- हम सबको शांति बनाए रखनी है
इमरजेंसी की पूरी रात और सुबह की किरणें आते-आते देश के लोगों को हालात समझने में देर नहीं लगी थी. जनता दहशत में आ चुकी थी, किसी को कुछ नहीं मालूम था कि आगे क्या होगा. सबकी निगाहें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अगले कदम पर टिकी थी. सुबह हुई और आखिरकार पीएम इंदिरा गांधी ने लोगों का सामना करने का फैसला किया. इंदिरा गांधी ने  ऑल इंडिया रेडियो पर देश के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था ”इस शांति को हमें बनाए रखना है और हमको ये समझना है कि लोकतंत्र में भी हदें होती हैं जिनको पार नहीं कर सकते.”

इंदिरा गांधी ने आगे कहा ”मैं आपको विश्वास दिलाती हूं जो नेता गण गिरफ्तार हुए हैं, उनको सुविधाएं दी जा रही हैं और आराम से रखने की पूरी कोशिश की जा रही है.” कुछ रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि आपातकाल लगाने के बाद इंदिरा गांधी रात तीन बजे तक अपने इस बयान की तैयारी की थी, साथ ही सुबह बयान से पहले इंदिरा गांधी ने पार्टी के कई बड़े नेताओं और अपने बेटे संजय गांधी के साथ बातचीत की थी. निजी सचिव के रूप में आर.के. धवन उस दौरान इंदिरा गांधी की आंख-कान हुआ करते थे.

21 महीने बाद साल 1977 में हटाई थी इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी

देश में 21 माह तक आपातकाल लगा रहा जिसके बाद 18 जनवरी साल 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी हटाने की घोषणा कर दी. इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग करते हुए घोषणा की मार्च में देश में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे. इसके साथ ही जेल में बंद सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया. सदन भंग होने के बाद देश में चुनाव कराया गया और देश का गुस्सा इंदिरा के खिलाफ भरकर निकला. चुनाव में जनता पार्टी ने शानदार जीत हासिल की और मोरारजी देसाई को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया. इस दौरान इंमरजेंसी की आग की लपट में स्वंय इंदिरा गांधी और संजय गांधी भी चुनाव हार गए और कांग्रेस को पंजाब, बिहार, यूपी, हरियाणा और दिल्ली में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी.

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