इंदिरा गांधी अपने खास व्यक्तित्व के लिए जानी जाती थी. उन्हे विपक्षी पार्टियों द्वारा अन्य राज्यों में बनाई गई सरकार कभी रास नहीं आती थी. इंदिरा गांधी के जीवन में कई ऐसे मौके आए जब अन्य राज्यों विपक्षी पार्टियों की सरकार गिराने में उन्होने अहम किरदार निभाया.
नई दिल्लीः इंदिरा को शायद किसी भी राज्य में शायद विपक्ष की सरकारें बनना पसंद नहीं था. पहली गैर कांग्रेसी सरकार जब 1959 में केरल में वामपंथियों ने बनाई तो फिरोज के सख्त ऐतराज के बावजूद एक छोटे से एजुकेशन बिल को लेकर इंदिरा ने वो सरकार गिरवा ही दी. ऐसे ही जब 1984 में जम्मू कश्मीर की फारुख अब्दुल्ला सरकार को उनके दो तीन बार कहने पर भी इंदिरा के कजिन और जम्मू कश्मीर के गर्वनर बीके नेहरू ने नहीं हटाया तो इंदिरा ने नेहरू का ट्रांसफर गुजरात कर दिया. उनकी जगह दिल्ली के एलजी जगमोहन को जम्मू कश्मीर भेजा. ब्लू स्टार ऑपरेशन के एक महीने के बाद एक दिन सुबह 6 बजे उठाकर बताया गया कि उनकी सरकार गिर गई है और उनकी जगह उनके रिश्तेदार एमजी शाह की सरकार बनेगी.
इसी तरह एनटी रामाराव से आंध्रप्रदेश में बड़े अंतर से हारकर इंदिरा खुश नहीं थी. जैसे ही हार्ट अटैक के बाद बाईपास सर्जरी के लिए एनटी रामाराव विदेश गए तो उनकी पार्टी तोड़ ली गई, काफी पैसों का भी इस्तेमाल होने की खबरें आई थीं. एनटी रामाराव जब व्हील चेयर पर वापस आए तो देखा उनकी सरकार गिर चुकी है और भास्कर राव की अगुवाई में नई सरकार बनने जा रही है. एनटी रामाराव और उनके समर्थकों ने प्रदेश के हर कोने में विरोध प्रदर्शन किए, मीडिया ने भी इंदिरा के फैसले की जमकर आलोचना की.
ऐसे ही गोवा में हुआ था, देवराज उर्स की पार्टी की सरकार थी वहां, एक भी कांग्रेस का विधायक जीत नहीं पाया था. इंदिरा जैसे ही 1980 में सत्ता में वापस आईं, उनके नजरें गोवा पर ही टिकी थीं. ऐसे में जबकि इंदिरा की पार्टी का एक विधायक नहीं था, फिर भी इंदिरा में गोवा में अपनी सरकार बना ली, कैसे, जानने के लिए देखिए हमारा ये शो विष्णु शर्मा के साथ.
जब एक महीने तक इंदिरा गांधी के सपनों में आती रही चुड़ैल, झांसी के काली मंदिर में 4 साल तक हुआ लक्ष्यचंडी पाठ