नई दिल्ली: चौधरी चरण सिंह तो 1977 मार्च में सरकार बनते ही इंदिरा गांधी को जेल भेजना चाहते थे, लेकिन मोरारजी देसाई कानून के खिलाफ कुछ भी करने को राजी नहीं थे. ऐसे में इंदिरा के खिलाफ भ्रष्टाचार केसेज की जांच के लिए शाह आयोग बनाया गया. कई केसों में सबसे अहम जो इंदिरा गांधी के खिलाफ केस था, वो थी जीप स्कैम. रायबरेली के चुनाव में इंदिरा गांधी की मदद के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं, जिनकी कीमत उन दिनों करीबन चालीस लाख थी. राजनारायण ने आरोप लगाया कि वो जीपें कांग्रेस के पैसे से नहीं बल्कि इंडस्ट्रियलिस्ट्स और सरकारी पैसे से खरीदी गई थीं.
इंदिरा की गिरफ्तारी के लिए पहले तारीख तय हुई एक अक्टूबर, लेकिन चरण सिंह की पत्नी ने उस पर वीटो लगा दिया. दरअसल 1977 में 1 अक्टूबर को शनिवार था और चरण सिंह की श्रीमती ने कहा, इस दिन कुछ भी ऐसा करोगे तो फलेगा नहीं. चौधरी साहब ने तारीख बदल दी, उनके आईपीएस दामाद के एक आईपीएस दोस्त ने सुझाव दिया कि अगला दिन दो अक्टूबर है यानी गांधी जयंती और उस दिन इंदिरा की गिरफ्तारी वबाल की वजह बन सकती है. चौधरी साहब को बात जम गई और सीबीआई चीफ एन के सिंह को रोक दिया गया.
मोरारजी ने उन्हें हरी झंडी तो दे दी लेकिन शर्त लगा दी कि एक तो मामला फुल प्रूफ होना चाहिए, दूसरे इंदिरा गांधी के साथ गिरफ्तारी के वक्त अच्छा व्यवहार होना चाहिए, उनके हाथ में हथकड़ी नहीं होनी चाहिए. तय किया गया गिरफ्तारी शाम को होनी चाहिए ताकि इंदिरा गांधी को एक रात तो कम से कम कस्टडी मे गुजारनी ही पड़े, उनको अगले दिन ही कोर्ट में पेश किया जा सके. इधर उसी वक्त चौधरी चरण सिंह ने सीबीआई की एफआईआर रिपोर्ट पढ़ना शुरू कर दिया, पढ़ते ही वो गुस्सा हो गए और चिल्लाए- पास बुलाओ उन्हें, तो उनका पर्सनल असिस्टेंल घबराकर बोला- किसे सर? चरण सिंह चिल्लाए- उन सीबीआई वालों को, ये वो केस नहीं है, जिन पर हम अभी एक्शन ले सकें. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
इसी बीच मेनका गांधी ने अपनी मैगजीन सूर्य़ा के एडीटर को भी फोन कर दिया, और उस एडीटर ने दुनियां भर के उन तमाम विदेशी रिपोर्टर्स को फोन कर दिया, जिनके कॉरस्पोंडेंट दिल्ली में थे. आग की तरह खबर फैलती चली गई. इधर यूथ कांग्रेस के प्रेसीडेंट टाइटलर ने सैकड़ों नौजवानों को इंदिरा के घर पहुंचने के लिए कहा ताकि गिरफ्तारी के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. इधर इंदिरा तय कर चुकी थीं कि गिरफ्तारी पर पक्का माहौल बना देना है, 6.05 बजे इंदिरा बाहर आईं और बोलीं कि हथकडियां कहां है, लगाओ. सीबीआई अधिकारियों और पुलिस ने बताया कि हथकडियों के लिए मना किया गया है, लेकिन इंदिरा नहीं मानी और हथकड़ियां लगाने के लिए अड़ी रहीं. फायनली करीब 8 बजे इंदिरा आईं और वैन में बैठ गईं, फिर वैन में खड़ी हो गईं और वहीं से मीडिया वालों को सम्बोधित करने लगीं. बड़कल लेक से आगे एक रेलवे फाटक बंद मिला और इंदिरा गांधी कार से उतरकर वहीं एक पुलिया पर बैठ गईं, आखिर क्या थी इंदिरा गांधी की जिद? जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.
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