इंदिरा गांधी के राजनीतिक करियर में ऐसे कई पड़ाव आए जब वो अपने फैसले को लेकर चिंता में रहीं. इमरजेंसी के बाद इंदिरा एक दिन हरिद्वार में आनंदमयी मां के पहुंची और वहां रोने लगीं. इंदिरा को कई बार रोते हुए देखा गया था
नई दिल्ली: इमरजेंसी के दौरान एक बार इंदिरा गांधी हरिद्वार में आनंदमयी मां के सामने जाकर रोईं (उनकी मां भी इनकी भक्त थीं), दोबारा भी हारने के बाद मिलीं तो इंदिरा गांधी को मां ने 108 रुद्राक्ष की माला भी दी. यही रुद्राक्ष की माला सोनिया ने इंदिरा की लाश को पहना दी थी. कांची के शंकराचार्य से चुनाव से पहले आशीर्वाद लिया, यूं शंकराचार्य मौन व्रत पर थे. इंदिरा ने सारी बातें बताकर पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए, संन्यास ले लूं या फाइट करूं तब भी शंकराचार्य मौन रहे.
लेकिन एक घंटे इंतजार के बाद जब वो हाथ जोड़कर उठने लगीं तो शंकराचार्य ने बस इतना कहा कि अपने धर्म का पालन करो और इंदिरा की तरफ आर्शीवाद मुद्रा में अपने हाथ उठा दिए. इमरजेंसी के वक्त ही वो आध्यात्मिक गुरू जे कृष्णमूर्ति से मिलीं, एक घंटे कमरे में बात करके बाहर रोते हुए निकलीं. इंदिरा ने कृष्णमूर्ति को बताया कि मैं एक टाइगर की सवारी कर रही हूं, मुझे चिंता नहीं कि टाइगर मुझे मार दे, लेकिन मुझे ये पता नहीं है कि टाइगर की पीठ पर से कैसे उतरा जाए.
वो इमरजेंसी को वापस लेने से जुड़े कन्फ्यूजन के बारे में बता रही थीं. कृष्णमूर्ति ने बस इतन कहा कि अपने सही गलत सबकी जिम्मेदारियां लो. लेकिन कर्नाटक के सुब्ररामण्यिम मंदिर के पुजारी ने उनसे इमरजेंसी को लेकर कुछ कड़े सवाल कर लिए औऱ इंदिरा गुस्से में उठकर चली गईं. इंदिरा संजय की मौत पर नहीं इतना नहीं रोईं. लेकिन जब पिता की मौत के बाद उनके सिरहाने एक सफेद फूल रोज रखा जाने लगा तो एक दिन वो पिता की यादों में खो गईं और खूब किस्सा कुर्सी का केस का फैसला होना था.
उससे एक दिन पहले सीबीआई ने इंदिरा से दो घंटे पहले पूछताछ की, इंदिरा पुपुल के सामने रोईं और कहा- संजय को साढ़े सात साल की सजा हो सकती है. उस वक्त भी इंदिरा के आंसू बेकाबू हो गए जब इजिप्ट के प्रेसीडेंट नसीर भारत आए, नसीर नेहरू के दोस्त थे. इंदिरा उन्हें देखते ही अपने आंसू नहीं रोक पाईं. लेकिन विदेशी नेता के आगे इंदिरा के इस तरह रोने की वजह क्या थी, जानने के लिए देखिए हमारा ये शो विष्णु शर्मा के साथ.