नई दिल्ली: यूं तो इमरजेंसी के दौरान ही इंदिरा पर इमरजेंसी खत्म करने का विपक्षी नेताओं और मीडिया का दवाब था लेकिन, इंदिरा ने इसका क्रेडिट दिया जिद्दू कृष्णमूर्ति को, उनके एक आध्यात्मिक गुरू, जिनसे इंदिरा अक्सर सलाह लेती थीं. इंदिरा ने इमरजेंसी लगाने के एक साल बाद उनसे मुलाकात की, और कहा- “मैं एक टाइगर की पीठ पर सवार हूं और मुझे चिंता नहीं कि टाइगर मुझे मार दे, लेकिन मुझे ये पता नहीं कि इससे उतरा कैसे जाए”.इंदिरा का इशारा इमरजेंसी वाले हालात की तरफ था.
तब कृष्णमूर्ति ने बस इतना कहा, जो सही है वो करो, उसके परिणाम क्या होंगे उनकी चिंता मत करो. उसके बाद इंदिरा ने इलेक्शंस करवाने का मूड बनाया और रॉ चीफ आर एन काव से हालात की जमीनी जानकारी जुटाने को कहा. इधर संजय गांधी और उनके करीबी इलेक्शंस करवाने की बात पर काफी नाराज थे. संजय ने सलाह दी कि आप इमरजेंसी खत्म कर दो, नेताओं को जेल से छोड़ दो, लेकिन अभी इलेक्शन मत करवाओ, लेकिन इंदिरा ने किसी की एक ना सुनी.
बाद में आईबी रिपोर्ट में जब ये आया कि इंदिरा हार सकती हैं, तो संजय ने और भी ऐतराज जताया लेकिन संजय की नाराजगी के बावजूद इलेक्शन करवाने का ऐलान कर दिया और विपक्षी नेताओं को छोड़ने का भी, जो इस खबर से खुश कम हैरान ज्यादा थे. इधर जगजीवन राम, एच एन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी ने नई पार्टी शुरू की, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी।
इंदिरा ने संजय को बताया कि हमारी इस गुप्तचर एजेंसी में एक खास संस्था के एजेंट हैं, कौन थी एजेंसी थी और कौन सी मशहूर संस्था का नाम लिया इंदिरा गांधी, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.
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