संजय गांधी पांच प्वॉइंट का फॉरमूला लेकर आए, साक्षरता, परिवार नियोजन, जाति का अंत, दहेज का खात्मा और पेड़ लगाना। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा परिवार नियोजन यानी जबरन नसबंदी का कार्यक्रम और ब्यूटीफिकेशन।
नई दिल्ली. इमरजेंसी में संजय गांधी का जलवा सातवें आसमान पर था। उन्हें लगा कि ये अच्छा मौका है पूरे देश को चुटकियों में सुधारने का। संजय गांधी पांच प्वॉइंट का फॉरमूला लेकर आए, साक्षरता, परिवार नियोजन, जाति का अंत, दहेज का खात्मा और पेड़ लगाना। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा परिवार नियोजन यानी जबरन नसबंदी का कार्यक्रम और ब्यूटीफिकेशन। इमरजेंसी के दो सालों में नसबंदी करने वाले लोगों की कुल संख्या थी 1,07,56,964, शाह कमीशन के मुताबिक इस दौरान ऑपरेशन के साइड इफेक्ट्स और फायरिंग की घटनाओं मैं करीब 2223 लोगों को मौत देश भर मैं हुई। दिल्ली का तुर्कमान गेट इलाका हो या फिर आगरा में जेल हटाकर संजय प्लेस बनाना या फिर तरह बनारस में शताब्दियों पुरानी विश्वनाथ गली को चौड़ा करने के लिए सैकड़ों साल पुराने घरों को आधा आधा तुड़वाना, संजय ने तहलका सा मचा दिया। बहुत जल्द देश को सुधारने की मंशा थी संजय की।
इसी दौर में बंशीलाल, टाइटलर, कमलनाथ, ओम मेहता जैसे लोग तो संजय के करीबी थे ही, एक युवा सोशलाइट रुखसाना सुलताना भी संजय के साथ काफी दिखने लगीं। किसी ने उसे कॉलगर्ल कहा तो किसी ने स्मगलर तो किसी ने इमरजेंसी की चीफ ग्लेमर गर्ल। किसी को नहीं पता कि वो संजय गाधी के इतने करीब कैसे पहुंची। उसकी यादें तब ताजा हो गईं, जब मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ में वो दिखी, संजय गांधी के साथ हर फ्रेम में उसे दिखाया गया। उस दौर में उसका रुतबा इतना जबरदस्त था कि कांग्रेस के नेताओं को संजय तक बात पहुंचाने के लिए उसकी मदद लेनी पड़ती थी। आज रुखसाना की बेटी को लोग उससे ज्यादा जानते हैं।
सरदार शिवेन्द्र सिंह विर्क से शादी टूटने के बाद रुखसाना एक ज्वैलरी बुटीक चलाने लगीं थीं। तुर्कमान गेट समेत पुरानी दिल्ली के कई इलाकों में डिमोलीशन में भी रुखसाना की प्रमुख भूमिका थी। लोग आरोप लगाते हैं कि रुखसाना के गुंडे नसंबदी से बचने के लिए पैसे मांगते, ना देने पर घर तुड़वाते, नसंबदी करवा देते थे। हालांकि रुखसाना ने हर इंटरव्यू में खुद को ही नहीं संजय गांधी तक को निर्दोष ही बताया, कहा कि संजय गांधी के इरादे तो अच्छे थे, लोग संजय को ढ़ंग से समझ नहीं पाए।
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