जब इमरजेंसी का ऐलान हो गया तो माहौल गरम हो चला था. संजय ने मेनका को घर से बाहर भेज दिया था और राजीव सोनिया पहले से ही राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते थे. रात में ही जेपी समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया.
नई दिल्ली. जब इमरजेंसी का ऐलान हो गया तो माहौल गरम हो चला था. संजय ने मेनका को घर से बाहर भेज दिया था और राजीव सोनिया पहले से ही राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते थे. रात में ही जेपी समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया. ये भी खासा दिलचस्प था कि जेपी पर सैक्शन 107 लगाया गया था, यानी सड़क पर घूमने वाले आवाराओं पर लगने वाला सेक्शन. ऐसे में जब सिद्धार्थ शंकर रे को गृह राज्य मंत्री ओम मेहता ने बताया कि अखबारों की बिजली काटी जा रही है और हाईकोर्ट्स पर ताले लगाने के आदेश भी हो गए हैं तो वो फौरन इंदिरा के पास पहुंचे.
रे घबरा गए थे. इंदिरा से मिलने पहुंचे तो उनके सहायकों ने कहा उन्हें अभी डिस्टर्ब ना करें. इतने में संजय आए और रे से कहा तुम लोग क्या जानो कि कैसे देश चलाया जाता है. इंदिरा के आने से पहले संजय निकल गए. इंदिरा को रे ने बताया तो बोली अभी पता करती हूं, इंदिरा बीस मिनट बाद आईं. इंदिरा ने सिद्धार्थ शंकर रे से कहा, न्यूजपेपर्स की लाइट नहीं कटेगी, कोर्ट्स भी खुले रहेंगे. अगले दिन कोर्ट्स तो खुले, लेकिन न्यूजपेपर्स की लाइट्स फिर भी काट दी गई थीं. एक दो पेपर ही छपा. अखबारों की खबरें सेंसर होने लगीं, अखबारों ने अपने तरीके से विरोध जताया, इंडियन एक्सप्रेस ने अपना एडिट पेज विरोध में ब्लैंक छोड़ दिया तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने मैट्रीमोनियल के इस क्रिएटिव एड से दिलचस्प विरोध जताया,”D.E.M O’Cracy, beloved husband of T.Ruth, father of L.I.Bertie, brother of Faith, Hope and Justice expired on 25 June”.
इमरजेंसी के इंदिरा गांधी के फैसले के खिलाफ पार्टी और सरकार से उठी सिर्फ एक आवाज