…तो इंदिरा गांधी का विमान हवा में ही उड़ जाता!

छह सात महीनों में इंदिरा गांधी ने दो बड़ी तैयारियां कर ली थीं, एक तो ये कि जहां जहां भारतीय सेना तैनात थी, उसको बॉर्डर पर भेज दिया गया. इधर पहाड़ों पर वर्फ बढ़ जाने से दर्रे बंद हो चुके थे, सो चीनी सेना का डर कम हो चुका था, रूस की सैन्य मदद का भरोसा मिल गया था और पूरी दुनियां में शरणार्थियों की समस्या पर चिंतन होने लगा था, अब कोई देश आसानी से पाकिस्तान के सपोर्ट में आने का जोखिम नहीं उठा सकता था.

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…तो इंदिरा गांधी का विमान हवा में ही उड़ जाता!

Aanchal Pandey

  • November 11, 2017 9:28 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: छह सात महीनों में इंदिरा गांधी ने दो बड़ी तैयारियां कर ली थीं, एक तो ये कि जहां जहां भारतीय सेना तैनात थी, उसको बॉर्डर पर भेज दिया गया. इधर पहाड़ों पर वर्फ बढ़ जाने से दर्रे बंद हो चुके थे, सो चीनी सेना का डर कम हो चुका था, रूस की सैन्य मदद का भरोसा मिल गया था और पूरी दुनियां में शरणार्थियों की समस्या पर चिंतन होने लगा था, अब कोई देश आसानी से पाकिस्तान के सपोर्ट में आने का जोखिम नहीं उठा सकता था. 4 दिसम्बर को जब पाकिस्तान ने एयर अटैक किया तो इंदिरा कोलकाता में लेखकों, साहित्यकारों की मीटिंग में थी, रात में उनका प्लेन उडा तो उन्हें भरोसा नहीं था कि वो सही सलामत दिल्ली पहुंच भी पाएंगी कि नहीं क्योंकि पाकिस्तान हवाई हमले किए जा रहा था.

देर रात में ही वो मैप रूम में पहुंची, तैयारियों का जायजा लेकर विपक्षी नेताओं की मीटिंग बुलाई और फिर रात को बारह बजे रेडियों पर जंग का ऐलान कर दिया. अब जितना अंदर जंग को लड़ना मुश्किल था, उतना ही अमेरिका को साधना. अमेरिका में राजदूत एलके झा ने अमिरेकी प्रेस में ऐलान कर दिया कि अमेरिका अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेज रहा है, अगले दिन ही अमेरिकी मीडिया ने निक्सन को धो दिया कि वियतनाम के बाद एशिया में एक दूसरा फ्रंट क्यों? उसके कुछ दिन बाद इंदिरा ने एक ओपन लैटर निक्सन को लिख मारा, जिसमें अमेरिका की महानता के साथ उससे शिकायतें भी की गईं.

शरणार्थी समस्या और ईस्ट पाकिस्तान में अत्याचारों की खबरों के बीच निक्सन के लिए काफी मुश्किल था कि पाकिस्तान को सपोर्ट पर उसे इंटरनेशनल कम्युनिटी का सपोर्ट मिलता, ऊपर से सोवियत संघ का जंग मे दखलअंदाजी का डर था. इसके चलते सातवां बेड़ा जंग मे पहुंच ही नहीं पाया. निक्सन को इंदिरा ने कन्फ्यूजन में ही रखा और जनरल नियाजी ने 90,000 सैनिकों के साथ 16दिसम्बर को पाकिस्तान में सरेंडर कर दिया, इंदिरा ने युद्ध विराम का ऐलान कर दिया. इस तरह हुआ बांग्ला देश का जन्म. 1971 की जंग की कुछ और दिलचस्प कहानियां, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ

जब 1971 की जंग से पहले इंदिरा गांधी से नाराज हुए जेपी, तीन साल बाद शुरू की सम्पूर्ण क्रांति

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