लाल किले के भाषण के वक्त इन दो वजहों से हो गई थी इंदिरा को राहुल की फिक्र

दरअसल मुजीब उर रहमान और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साथ उनके सात आठ साले के पोते को भी हत्यारों ने गोली मार दी थी। ये बात इंदिरा को घर कर गई, उनको भी लग रहा था कि उनके भी कई दुश्मन हो चुके हैं।

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लाल किले के भाषण के वक्त इन दो वजहों से हो गई थी इंदिरा को राहुल की फिक्र

Aanchal Pandey

  • November 12, 2017 8:27 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. इमरजेंसी के दौरान जब लालकिले पर 15 अगस्त को भाषण देने का वक्त आया तो इंदिरा उस दिन बोलते वक्त असामान्य थीं, ये इमरजेंसी की वजह से नहीं था, बल्कि उसी सुबह उन्हें खबर लगी कि बांगला देश में मुजीब उर रहमान और उनके परिवार के सदस्यों को घर में घेरकर मार डाला गया है। जब वो पहली बार पीएम बनीं थी, उस दिन भी डा. होमी जहांगीर भाभा का प्लेन एक्सीडेंट हो गया था। लेकिन इस बार मामला कुछ और था, सबसे पहले उनको चिंता हुई राहुल गांधी की।

दरअसल मुजीब उर रहमान और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साथ उनके सात आठ साले के पोते को भी हत्यारों ने गोली मार दी थी। ये बात इंदिरा को घर कर गई, उनको भी लग रहा था कि उनके भी कई दुश्मन हो चुके हैं। ऐसे में कोई उनकी जाने ले तो ले, बेचारे राहुल का क्या दोष? क्या ये लोग बच्चे को भी नहीं बख्शते। इंदिरा ने अपना ये डर अपनी दोस्त पुपुल जयकर को बताया था।

उसी वक्त हुआ बडोदा डाइनामेट केस, इंदिरा को सीक्रेट रिपोर्ट मिली कि जॉर्ज फर्नांडीज उन्हें बनारस की पब्लिक मीटिंग में उड़ा सकते हैं, जॉर्ज को गिरफ्तार कर लिया गया। जॉर्ज पर सीबीआई ने केस चलाया कि उन्होंने बड़ौदा में रेलवे पटरियों पर विस्फोट करने के लिए डायनामाइट स्मगल किया था। 1977 में जेल में रहकर ही जॉर्ज ने बिहार के मुजफ्फरपुर से केस लड़ा, ये चुनाव उनके समर्थकों ने उनके हथकड़ी वाले पोस्टर के आधार पर ही लड़ा और वो जीत गए। इस दौर में मोदी से लेकर सुब्रामण्यिम तक सब लोग वेश बदलकर ही ट्रैवल करते थे, बाकी जेल में थे।

बड़ौदा डायनामाइट केस से जॉर्ज फर्नींडीज के कैसे मुक्ति मिली, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ

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