स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी को न केवल भारत बल्कि विश्व भर में एक दमदार राजनीतिक महिला के रूप में जाना जाता है. आज उनकी 100वां जयंती है. 26 जून, 1975 को आपातकाल लगाने का फैसला देश की प्रथम व एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रमुख फैसलों में एक था. जिसका काफी विरोध भी हुआ.
नई दिल्लीः भारत की पहली व एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी कीआज जयंती है. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी 1966 से 1980 तक लगातार तीन बार देश की प्रधानमंत्री रहीं उसके बाद 1980 से 1984 तक श्रीमती गांधी चौथी बार प्रधानमंत्री रहीं हालांकि 1984 में इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नेहरू परिवार में जन्मी इंदिरा को उनका उपनाम “गांधी” उपनाम फिरोज़ गाँधी से 26 मार्च, 1942 में हुए विवाह के पश्चात मिला था. आज इंदिरा गांधी को सिर्फ उनके पिता जवाहर लाल नेहरू व दादा मोतीलाल नेहरू की वजह से नहीं जाना जाता बल्कि उनकी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए वे विश्वराजनीति के इतिहास में भी जानी जाती हैं.
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में एक संपन्न परिवार में हुआ था. इनका पूरा नाम है श्रीमती इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी. श्रीमती गांधी को विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया. बचपन में उन्होंने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया. सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया. 1947 में इन्होंने गाँधी जी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया।
1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी।1958 में उन्हें कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया.वे एआईसीसी के राष्ट्रीय एकता परिषद की उपाध्यक्ष और 1956 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्ष बनीं. वे वर्ष 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. जनवरी 1978 में उन्होंने फिर से यह पद ग्रहण किया. वह 1966-1964 तक सूचना और प्रसारण मंत्री रहीं. इसके बाद जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक वह भारत की प्रधानमंत्री रहीं। साथ-ही-साथ उन्हें सितम्बर 1967 से मार्च 1977 तक के लिए परमाणु ऊर्जा मंत्री बनाया गया. उन्होंने 5 सितंबर 1967 से 14 फ़रवरी 1969 तक विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला. श्रीमती गांधी ने जून 1970 से नवंबर 1973 तक गृह मंत्रालय और जून 1972 से मार्च 1977 तक अंतरिक्ष मामले मंत्रालय का प्रभार संभाला. जनवरी 1980 से वह योजना आयोग की अध्यक्ष रहीं. 14 जनवरी 1980 में वे फिर से प्रधानमंत्री बनीं. उन्हें 1972 में भारत रत्न पुरस्कार, 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थीं.
26 जून 1975 को संविधान की धारा- 352 के प्रावधानानुसार आपातकाल लगाने का फैसला इंदिरा गांधी के बड़े फैसलों में से एक माना जाता है जिसका मीडिया सहित अन्य लोगों द्वारा बहुत विरोध भी हुआ. 31 अक्टूबर 1984 बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे जिसमें इंदिरा गांधी की मृत्यु हो गई.
यह भी पढ़ें- जब इंदिरा गांधी के लिए प्लेन हाईजैक कर लिया था कांग्रेसियों ने
यह भी पढ़ें- कैसे चुना इंदिरा गांधी ने कांग्रेस के लिए हाथ का पंजा? क्या शंकराचार्य से है इसका कोई रिश्ता?