India's Unemployment Rate: एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत में बेरोजगारी की दर पहले से बढ़ गई है. ये खबर नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बुरी साबित हो सकती है. मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं जिन पर इस खबर का प्रभाव पड़ सकता है और इसका खामियाजा नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.
नई दिल्ली. मंगलवार को जारी किए गए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी, सीएमआईई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2019 में भारत में बेरोजगारी की दर पिछले साल फरवरी में 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गई. वहीं ये सितंबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गई है. नौकरी चाहने वालों की संख्या में गिरावट के बावजूद बेरोजगारी की दर बढ़ गई है. मुंबई स्थित थिंक टैंक के प्रमुख महेश व्यास ने बताया कि श्रम बल की भागीदारी दर में अनुमानित गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि फरवरी में भारत में नौकरी करने वालों की संख्या 400 मिलियन थी जो पिछले साल 406 मिलियन थी.
सीएमआईई संख्या पूरे भारत के हजारों घरों के सर्वेक्षण पर आधारित है. कई अर्थशास्त्रियों द्वारा ये आंकड़े सरकार द्वारा दिए गए बेरोजगारी के आंकड़ों की तुलना में अधिक विश्वसनीय माने जाते हैं. मई में होने वाले आम चुनाव से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ये आंकड़े बुरी खबर साबित हो सकते हैं क्योंकि किसानों की कमजोर स्थिती और नौकरियों के विकास के बारे में चिंता अक्सर विपक्षी दलों द्वारा चुनावी मुद्दों के रूप में सामने आती रही हैं. सरकार ने इससे पहले बेरोजगारी दर के लिए जो आधिकारिक डेटा जारी किया था वो पुराना था. लेकिन हाल ही में सरकार ने नए आंकड़े जारी करने से रोक दिए क्योंकि अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसकी सत्यता की जांच करने की आवश्यकता है.
बता दें कि दिसंबर में जो आंकड़े रोके गए थे वे कुछ हफ्ते पहले एक स्थानीय अखबार में लीक हो गए थे. इनसे पता चला कि भारत की बेरोजगारी दर 2017/18 में कम से कम 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जनवरी में जारी एक सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया कि 2016 के अंत में नोटबंदी के कारण और 2017 में नए जीएसटी के लॉन्च के बाद लगभग 11 मिलियन लोगों ने नौकरी खो दी और इसने लाखों छोटे व्यवसायों को प्रभावित किया. सरकार ने पिछले महीने संसद को बताया कि उनके पास छोटे व्यवसायों में नौकरियों पर नोटबंदी के प्रभाव का डेटा नहीं था.