यूएन में भारत का बयान- युद्ध की वजह से बढ़ी तेल की कीमतें, खाद्यान्न और उर्वरकों की भी कमी नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को दो महीने से अधिक हो गए हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण खाद्य और ऊर्जा संबंधी चुनौतियां सामने आ रही हैं. इस बीच […]
यूएन में भारत का बयान- युद्ध की वजह से बढ़ी तेल की कीमतें, खाद्यान्न और उर्वरकों की भी कमी
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को दो महीने से अधिक हो गए हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण खाद्य और ऊर्जा संबंधी चुनौतियां सामने आ रही हैं. इस बीच भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उभरती खाद्य और ऊर्जा समस्याओं पर प्रकाश डाला है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, “दोनों देशों के बीच युद्ध का व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव के साथ एक अस्थिर प्रभाव पड़ रहा है” उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी है. इसका वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
तिरुमूर्ति ने आगे कहा, “हमें सभी बाधाओं से परे जाकर युद्ध से उत्पन्न खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देना होगा. ऊर्जा सुरक्षा सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है और इसे सभी के प्रयासों के माध्यम से संबोधित करने की आवश्यकता है. तिरुमूर्ति ने युद्ध को समाप्त करने और वार्ता और कूटनीति के मार्ग को अपनाने के लिए भारत के अथक आह्वान को दोहराया.
उन्होंने कहा कि युद्ध के परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई है जबकि इससे अनगिनत लोग प्रभावित हुए हैं. खासकर लाखों महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बेघर हो गए हैं. इन लोगों को मजबूर होकर पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी है. भारत ने बुका में नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा की है और स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन किया है.
तिरुमूर्ति ने यह भी कहा, ‘हम संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रयासों की सराहना करते हैं. हम तत्काल प्रभाव से खाद्य निर्यात प्रतिबंधों से मानवीय सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) द्वारा खाद्य खरीद को छूट देने की उनकी सिफारिश का स्वागत करते हैं.
भारत द्वारा अफगानिस्तान में उच्च गुणवत्ता वाला गेहूं भेजे जाने के बाद डब्ल्यूएफपी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा. यह प्रतिनिधिमंडल भारत में गेहूं के भंडारण और रखरखाव की स्थिति का जायजा लेगा, ताकि अन्य देशों में भी इसी तरह की व्यवस्था की जा सके. दरअसल, अफगानिस्तान में पैदा हो रहे खाद्य संकट को देखते हुए भारत पचास हजार मीट्रिक टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं भेज रहा है. इसके तहत दस हजार मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान भेजा गया है.