देश को अपनी जिंदगी समर्पित करने वाले भारतीय सेना के जवान अब जिंदगी खोने के बाद भी देश के काम आना चाहते हैं. दरअसल, भारतीय सेना की एक पूरी यूनिट ने अपने अंगो को दान करने का प्रण लिया है. इसके लिए सभी जवानों ने अंग दान के लिए एप्लिकेशनों को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में जमा करवा दी हैं.
नई दिल्ली: देश को अपनी जिंदगी समर्पित करने वाले भारतीय सेना के जवान अब मरने के बाद भी देश के काम आना चाहते हैं. दरअसल, भारतीय सेना की एक पूरी यूनिट ने अपने अंगों को दान करने का प्रण लिया है. इसके लिए सभी जवानों ने अंग दान के लिए आवेदन को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में जमा करवा दिया है. बता दें यह यूनिट टीए 123 इन्फैंट्री बटालियन की है जिसे 1 नंवबर 1956 में लेफ्टिनेंट कर्नल जोरावार सिंह ने बनाया था. यह यूनिट भारतीय क्षेत्रीय सेना की स्वैच्छिक यूनिट है जोकि भारतीय सेना के ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट से सम्बद्ध है.
यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल जीएस चंदावत ने कहा कि यह कार्य सशस्त्र बलों के अनुसंधान और रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल के समर्थन से किया जा रहा है. यूनिट के प्रत्येक सिपाही ने अपने अंगों को दान करने के लिए लिखित रूप में प्रण लिया है. जब तक सैनिक जिंदा होते हैं तो देश को सुरक्षित रखते हैं और वर्दी पहने ये वीर मृत्यु के बाद भी देशवासियों की मदद करने के लिए तैयार हैं. बता दें कि अंग दान समाज के लिए एक चमत्कार साबित हुआ है. अंगों के प्रत्यारोपण के उद्देश्य से गुर्दे, हृदय, आंख, छोटी आंत, हड्डियों के ऊतकों, त्वचा के ऊतकों जैसे अंग दान किए जाते हैं. अंगदान करने वाला शख्स एक विश्वास खोए व्यक्ति को नया जीवन देता है.
अंग दान के लिए पूरे विश्व में लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है. यहां तक की देश की सरकार ने अंग दान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रणालियों को स्थापित किया है. हालांकि, उनकी आपूर्ति की तुलना में अंगों की मांग अभी भी काफी ज्यादा है. बता दें कि प्रादेशिक सेना (Territorial Army/TA) भारतीय सेना की एक यूनिट है. इसके स्वयंसेवकों को हर साल कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि जरूरत के समय वे देश की रक्षा कर सकें.
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