भारत ने एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी (NAL)
नई दिल्ली: भारत ने एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी (NAL) ने सौर ऊर्जा से चलने वाला एक विशेष मानव रहित एयरक्राफ्ट तैयार किया है। यह एयरक्राफ्ट लगातार 90 दिनों तक आसमान में उड़ान भरने में सक्षम है, जो भारत को उन देशों की श्रेणी में शामिल करता है जो हाई एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म (HAPS) बनाने में सक्षम हैं।
यह एयरक्राफ्ट भारत का पहला सौर ऊर्जा से संचालित मानव रहित विमान है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि इस एयरक्राफ्ट पर अभी और निरीक्षण जारी हैं, लेकिन इसका छोटा मॉडल सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।
यह सोलर एयरक्राफ्ट ड्रोन की तरह काम करता है, लेकिन यह सामान्य एयर ट्रैफिक से काफी ऊपर उड़ता है। इसके जरिए निगरानी से लेकर 5G सिग्नल प्रसारित करने तक कई कार्य किए जा सकते हैं। इस अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी भारत रक्षा विमानन प्रदर्शनी (12-15 सितंबर) में दी गई थी, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था।
फरवरी में NAL ने चैलकेरे में HAPS के एक छोटे प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण किया था। यह एयरक्राफ्ट केवल 5 मीटर लंबा और 23 किलोग्राम वजन का था। वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि 2027 तक 30 मीटर पंखों वाला और 100 किलो वजन वाला एयरक्राफ्ट तैयार किया जाएगा, जो 15 किलोग्राम पेलोड ले जाने में सक्षम होगा।
सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान, सौर कोशिकाओं से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसमें बैटरी या हाईड्रोजन का उपयोग कर ऊर्जा को संग्रहित किया जाता है। एयरक्राफ्ट के कुल वजन का लगभग 25% हिस्सा सोलर पैनल का होता है, जिससे यह लगातार लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम होता है।
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