नई दिल्ली: मालगाड़ियों के बन रहे ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर काम जोर शोर से चल रहा है. वर्ल्ड क्लास की अत्याधुनिक मशीनों से ट्रैक बिछाने का काम जारी है.डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन यानी DFCC ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 351 किलोमीटर का सेक्शन अगले साल अक्टूबर से चालू करने का दावा किया है जो खुर्जा से लेकर भाऊपुर (कानपुर) के बीच होगा।मतलब इसके बीच चलने वाली तमाम मालगाड़ियां इस कॉरिडोर पर टाइम टेबल के साथ 100किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेगी.आपने पहले देखा होगा कि ट्रैक बिछाने का काम तो रेलकर्मी करते थे,लेकिन, इस वीडियो में तो मशीन ट्रैक बिछाने का काम कर रही है,पर अब ऐसा सम्भव है और इसका इस्तेमाल कहीं और नहीं ,बल्कि, रेलवे का सबसे अहम प्रोजेक्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाने में किया जा रहा है. मालगाडियों के लिए देश में पहली बार अलग से दो कॉरिडोर ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और वेस्टर्न डेडिकेटेड2 फ्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है जिसे रेलवे का PSU DFCCI बना रहा है. ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की कुल लम्बाई 1856 किलोमीटर है जो पंजाब के लुधियाना से लेकर पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक होगा तो वहीं, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर दादरी से लेकर मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक होगा जिसकी लम्बाई 1504 किलोमीटर है.
दोनों कॉरिडोर की कुल लागत 81,459 करोड़ रुपये है इनमें से ईस्टर्न कॉरिडोर के लिए वर्ल्ड बैंक और वेस्टर्न कॉरिडोर के लिए Japan international cooperation agency फंड दे रहे हैं. वैसे ये जो ट्रैक बिछाने का काम आप देख रहे हैं ये ईस्टर्न कॉरिडोर के खुर्जा से कानपुर सेक्शन का जो करीब 351 किलोमीटर का है. इस कॉरिडोर को बनाने में NTC मशीन के साथ कई अत्याधुनिक वर्ल्ड क्लास की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी वजह से कम manpowers में कम समय मे ज्यादा काम किया जा रहा है. इस मशीन के जरिये करीब 10 से 15 कर्मी लगकर रोज़ाना 1.5किलोमीटर ट्रैक बिछा रहे हैं जबकि, पहले एक दिन में 300 से 600 मीटर दूरी तक ट्रैक बिछाया जाता था जिसके लिए कई गुना ज्यादा manpowers लगते थे. इसके अलावा, एक बार में सिर्फ 13मीटर की लंबी पटरी बिछाई जाती थी लेकिन ,अब नई तकनीक का इस्तेमाल कर एक बार में 260 मीटर पटरी एक साथ बिछाई जा रही है. इतना ही नहीं दो पटरियों को वेल्डिंग का काम भी मशीन से किया जा रहा है. दोनों फ्रेट कॉरिडोर 7 राज्यों ,61 जिले,1000 गाँव और 1000 रोड ओवर व अंडर ब्रीज से होकर गुजरेंगे.
अधिकतम स्पीड 100किलो मीटर प्रति घण्टे और औसतन 50 से 60 किलोमीटर होगी, जबकि,अभी जो मालगाड़ी रेलवे ट्रैक पर दौड़ रही है उसकी अधिकतम स्पीड 70 किलोमीटर और औसतन 26 किलोमीटर है. फिलहाल दिल्ली से कोलकाता या दिल्ली से मुम्बई जाने में मालगाड़ियों को 3 दिन लगते हैं कभी कभी तो एक हफ्ते का वक़्त भी लग जाता है लेकिन जब मालगाड़ी इस कॉरिडोर पर दौड़ेगी तो 24 घण्टे में आपको पहुंचा देगी.पैसेंजर गाड़ियों की तरह मालगाड़ियों का भी टाइम टेबल होगा जिससे आप अपने सामान के बारे में पता कर सकते हैं कि वो आपके यहां कब तक पहुंचेगा या आप कब भेज सकते हो. जब मेन रेलवे ट्रैक से इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर इन इलाकों की मालगाड़ियां शिफ्ट हो जाएगी तो पैसेंजर गाड़ियों की लेटलतीफी में भी काफी सुधार होगा. सबसे पहले अगले साल अक्टूबर तक इस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर का खुर्जा कानपुर सेक्शन पर मालगाड़ियां दौड़ने लगेगी. इस सेक्शन की कुल लम्बाई 351 किलोमीटर है. हालांकि, अभी भी इस सेक्शन के दो जगहों पर भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकी है. इसके बाद, दूसरे फेज में कानपुर सोन नगर सेक्शन चालू किया जाएगा जो मुगलसराय होते जाएगा.
मुगलसराय-सोन नगर के बीच 917 किलो मीटर की डबल लाइन और सोन नगर से दानकुनी के बीच 538 किलोमीटर तक डबल लाइन बनेगी. DFCC को उम्मीद है कि साल 2021- 2022 तक ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर पर 153.23 मिलियन टन्स का ट्रैफिक हो जाएगा. मतलब इससे रेलवे को काफी आमदनी होने वाली है. ये फ्रेट कॉरिडोर बिज़नेस फ्रेंडली के साथ साथ एनवायरनमेंट फ्रेंडली भी है. रोड ट्रांसपोर्ट से फ्रेट में ट्रैफिक आने के बाद अगले 30 साल में 582 मिलियन टन्स कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा और हवा जहरीली नहीं हो सकेगी.वैसे इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले 2008 से 20013 तक यानी 5 साल का वक़्त ज़मीन अधिग्रहण मर ही बर्बाद हो गया और 2013 से इसे बनाने का काम शुरू हुआ है. फिलहाल इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए 97.4% ज़मीन का अधिग्रहण किया जा चुका है और बाकी पर पेंच फंसा. ऐसे में जिस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को बनाने की घोषणा UPA पार्ट 1 सरकार ने की थी उसे मोदी सरकार अपने कार्यकाल तक पूरा कर अगले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठाते हैं.
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