नई दिल्लीः चालू वित्त साल यानी FY24 में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि की वजह से अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में बिजली की खपत एक साल पहले के समान अवधि तुलना में लगभग नौ प्रतिशत बढ़कर 1,099.90 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है। एक साल पहले की समान अवधि में देश में बिजली की खपत 1,010.20 […]
नई दिल्लीः चालू वित्त साल यानी FY24 में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि की वजह से अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में बिजली की खपत एक साल पहले के समान अवधि तुलना में लगभग नौ प्रतिशत बढ़कर 1,099.90 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है। एक साल पहले की समान अवधि में देश में बिजली की खपत 1,010.20 बीयू थी।
ऊर्जा मंत्रालय ने यह अनुमान जताया है कि गर्मियों के दौरान देश में बिजली की मांग 229 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी लेकिन बेमौसम बारिश के कारण अप्रैल-जुलाई में मांग अनुमानित स्तर तक नहीं पहुंची।
चालू वित्त वर्ष के सितंबर महीने में बिजली की मांग सबसे ज्यादा थी। सितंबर में बिजली की डिमांड 243.27 गीगावॉट के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। अगर जून की बात करें तो जून में मांग बढ़कर 224.1 गीगावॉट के पर पहुंच गई थी जो जुलाई में घटकर 209.03 गीगावॉट रह गई थी।अगस्त में बिजली की अधिकतम मांग 238.82 गीगावॉट तक हुई फिस सितंबर में नए रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद अक्टूबर में अधिकतम मांग 222.16 गीगावॉट रही वहीं पिछले महीने यानी नवंबर में बिजली की मांग 204.86 गीगावॉट रही।
विशेषज्ञों के अनुसार अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बिजली की खपत बढ़ने का मुख्य वजह ह्यूमिड मौसम और त्योहारी भीड़ के प्रभाव के कारण औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि थी। इस सप्ताह की शुरुआत में, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा को एक लिखित उत्तर में बताया था कि 2013-14 से 2022-23 तक ऊर्जा के मामले में बिजली की मांग 50.8 प्रतिशत बढ़ गई है। उन्होंने सदन को कहा कि बिजली की अधिकतम मांग 2013-14 में 136 गीगावॉट से बढ़कर सितंबर 2023 में 243 गीगावॉट हो गई है।
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