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भारतीय नौसेना को मिली दूसरी परमाणु पनडुब्बी, दुश्मनों को मिलेगी मात

नई दिल्ली: आईएनएस आज भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है, जिसे बंगाल की खाड़ी में तैनात किया जाएगा. नौसेना में शामिल होने के बाद अब देश के पास दो परमाणु पनडुब्बियां हो गई हैं.इससे पहले साल 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को जंगी बेड़े में शामिल […]

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  • August 30, 2024 10:00 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: आईएनएस आज भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है, जिसे बंगाल की खाड़ी में तैनात किया जाएगा. नौसेना में शामिल होने के बाद अब देश के पास दो परमाणु पनडुब्बियां हो गई हैं.इससे पहले साल 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को जंगी बेड़े में शामिल किया गया था. इसे विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर में बनाया गया है. इसका विस्थापन 6000 टन है. लंबाई लगभग 113 मीटर है. बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर है. यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकता है. सीमा असीमित है. यानी अगर भोजन की आपूर्ति और रखरखाव हो तो यह असीमित समय तक समुद्र में रह सकता है.

आईएनएस अरिघाट की विशेषताएं

1. आईएनएस अरिघाट 112 मीटर लंबी परमाणु मिसाइलों से लैस है
2. 6000 टन वजनी और नए तकनीकी अपग्रेड्स से तैयार
3. यह पनडुब्बी K-15 मिसाइलों से लैस है, मारक क्षमता 750 किलोमीटर है
4. पनडुब्बी छह 21 इंच के टॉरपीडो से सही है
5. इसमें कई टॉरपीडो ट्यूब हैं जिनका उपयोग टॉरपीडो, मिसाइलों या समुद्री बारूदी सुरंगों को तैनात करने के लिए किया जा सकता है
6. पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकता है
7. यह पनडुब्बी लंबे समय तक पानी में डूबी रह सकती है
8. आईएनएस अरिघाट पर 12 K-15 सागरिका सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात हैं
9. इस पनडुब्बी के अंदर एक परमाणु रिएक्टर भी लगा हुआ है
10. परमाणु ईंधन के इस्तेमाल से इस पनडुब्बी की गति सतह पर 28 किमी/घंटा और पानी के अंदर 44 किमी/घंटा होगी

तीन दिन तक पानी के अंदर….

पनडुब्बियां पानी में डेढ़ हजार फीट से ज्यादा की गहराई तक जा सकती हैं. तीसरी परमाणु पनडुब्बी अरिडमैन भी देश में बन रही है और कुछ सालों में यह भी नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी. अरिहंत और अरिघाट में 83 मेगावाट के हल्के जल रिएक्टर हैं जिनसे वे संचालित होते हैं. परमाणु रिएक्टरों के कारण ये पनडुब्बियां पारंपरिक पनडुब्बियों की तुलना में महीनों तक पानी के अंदर रह सकती हैं.

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