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नौसेना को मिलेगा कवच! दुश्मन को तबाह करने वाली घातक मिसाइल का परीक्षण सफल

नई दिल्ली, भारतीय नौसेना को जल्द ही एक और ताकत मिलने वाली है, दरअसल समुद्र में दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन से बचने और उन्हें नष्ट करने के लिए एक विशेष मिसाइल बनाई गई है. इस मिसाइल का मंगलवार को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में परीक्षण किया गया है, वर्टिकल […]

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  • August 23, 2022 8:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, भारतीय नौसेना को जल्द ही एक और ताकत मिलने वाली है, दरअसल समुद्र में दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन से बचने और उन्हें नष्ट करने के लिए एक विशेष मिसाइल बनाई गई है. इस मिसाइल का मंगलवार को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में परीक्षण किया गया है, वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल यानि वीएल-एसआरएसएएम को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने बनाया है. यह हवा में उड़ रही किसी भी चीज को पलक झपकते ही नष्ट करने की क्षमता रखती है.

जून में भी हो चुका है सफल परीक्षण

इससे पहले भी वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल यानि वीएल-एसआरएसएएम का सफल परीक्षण इसी साल जून के महीने में हुआ था, उस दौरान भी इस मिसाइल को नौसेना के पोत से ही लांच किया था. इस दौरान यह देखा गया था कि यह मिसाइल लॉन्च हो सकती है या नहीं, वहीं टेस्ट के दौरान भी मिसाइल ने हवा में तेजी से छोड़ी गई वस्तु को टारगेट किया था, उस समय भी यह सभी मानदंडों पर खरी उतरी थी. इस टेस्ट के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डीआरडीओ और नौसेना को इसके सफल ट्रायल की बधाई दी थी.

डीआरडीओ ने किया है विकसित

माना जा रहा है कि इस मिसाइल का इस्तेमाल नौसेना की ओर से हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों को मुँह तोड़ जवाब देने के लिए किया जाएगा. इससे पहले डीआरडीओ ने एंटी शिप और एंटी सरफेस संबंधी एप्लीकेशंस के लिए पृथ्वी मिसाइल को धनुष के रूप में विकसित किया था, लेकिन इस मिसाइल का कोई प्रैक्टिकल एप्लिकेशन देखा ही नहीं गया था. इसे परीक्षण के लिए सिर्फ एक ही युद्धपोत पर लगाया गया था, जबकि धनुष मिसाइल के लॉन्चर को अभी दुरुस्त किया जाना था. हालांकि भारतीय नौसेना की ओर से उसके कई युद्धपोतों में खतरनाक ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है, तकरीबन 600 से लेकर 800 किलोमीटर की रेंज तक हमला करने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को युद्धपोतों से टेस्ट भी किया गया था.

 

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