Oxfam Report: 21 अरबपतियों के पास है देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा दौलत

नई दिल्ली। भारत में लगातार बढ़ रही आर्थिक गैर-बराबरी के कारण देश के अमीरों की संपत्तियों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसकी जानकरी ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास मौजूदा समय में देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा संपत्ति […]

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Oxfam Report: 21 अरबपतियों के पास है देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा दौलत

Vikas Rana

  • January 16, 2023 10:22 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। भारत में लगातार बढ़ रही आर्थिक गैर-बराबरी के कारण देश के अमीरों की संपत्तियों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसकी जानकरी ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास मौजूदा समय में देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा संपत्ति है।

अमीरों की संपत्ति में हुई 121 गुना बढ़ोत्तरी

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2021 तक जहां अधिकतर भारतीयों की नौकरी संबंधी समस्याओं के अलावा अपनी बचत को बचाने के लिए जूझना पड़ा। वहीं पिछले साल नवंबर तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 121 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस दौरान अरबपतियों की दौलत में प्रतिदिन 3 हजार 608 करोड़ रुपए हर दिन बढ़े हैं।

50 फीसदी आबादी के पास सिर्फ 3% संपत्ति

भारत में जहां 2022 तक पांच फीसदी लोगों का देश की कुल संपंत्ति में से 62 फीसदी हिस्से पर कब्जा रहा, वहीं भारत की निचली 50 फीसदी आबादी का देश की महज तीन फीसदी संपत्ति पर कब्जा था। इसके अलावा 2020 में जहां अरबपतियों की संख्या 102 थी, वहीं 2022 में यह संख्या 166 हो गई। रिपोर्ट को सोमवार के दिन स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाली वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगर भारत के अरबपतियों पर उनकी पूरी संपत्ति का 2 फीसदी पर भी टैक्स लगा दिया जाए, तो ये देश में अगले तीन सालों के लिए कुपोषण से पीड़ित बच्चों के पोषण के लिए 40 हजार करोड़ रुपए जुटाए जा सकते है।

महिला श्रमिकों को मिल रहे हैं काफी कम पैसे

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में लैंगिक असमानता अभी भी कायम है। भारत में जहां पुरूष मजदूरों को अगर 1 रुपए दिया जाता है तो महिला श्रमिकों को सिर्फ 63 पैसे मिल रहे है। अनुसूचित जातियों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह अंतर और भी ज्यादा है।

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