नई दिल्ली: Budget 2023: इस साल बजट घोषणाओं के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रीन रेलवे के बारे में भी जिक्र किया। आपको बता दें, रेलवे को 2.4 लाख करोड़ की सौगात मिली। ग्रीन ग्रोथ और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की तरह भारत एक और मिशन की ओर बढ़ रहा है। वह मिशन ग्रीन रेलवे का है। जब हम ग्रीन रेलवे की बात करते हैं, तो हम आम तौर पर रेलवे के विद्युतीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। लेकिन इस मिशन को पूरा करने के लिए इसके अलावा भी कई दिशाओं में काम किया जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट में केंद्र सरकार की तैयारियों के बारे में बताया।
दरअसल, भारतीय रेलवे ऐसे तमाम उपाय कर रही है, जो पर्यावरण के अनुकूल हों। पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों से रेलवे या तो परहेज कर रहा है या फिर उन्हें बंद कर विकल्प अपना रहा है। इस कहानी में समयोचित चर्चा के माध्यम से हम विस्तार से समझेंगे कि आने वाले दिनों में भारत ग्रीन रेलवे वाला पहला देश कैसे होगा?
भारतीय रेलवे 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रही है। पर्यावरण के अनुकूल यात्री और मालगाड़ियाँ तैयार की जा रही हैं। फर्स्ट जेनरेशन सिस्टम, बायो टॉयलेट और एलईडी ने ट्रेनों को इकोलॉजिकल बना दिया है।
कार्यालयों में कागज का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं किया जाता है। रेलगाड़ियों से जंगली जानवरों को नुकसान न हो, इसके लिए फेंसिंग की पहुँच बढ़ा दी गई है। अपने प्रयासों के लिए, रेलमार्गों को सिल्वर, गोल्ड और प्लेटिनम रेटिंग सहित कई ग्रीन सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया है।
साल 2014 की तुलना में रेलवे का विद्युतीकरण दस गुना बढ़ा है। अब ज्यादातर ट्रेनें डीजल के बजाय बिजली से चलती हैं। इससे प्रदूषण नहीं होता है। दिसंबर 2023 तक 100% चौड़ा ट्रैक विद्युतीकरण का लक्ष्य है। डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर को न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के साथ हरित परिवहन नेटवर्क के रूप में विकसित किया जा रहा है।
पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए देश में सैकड़ों स्टेशनों की पहचान और प्रमाणीकरण किया जा रहा है। इसके लिए तरह-तरह के मानक तय किए गए हैं। जैसे: ऊर्जा बचाने के लिए किए गए उपाय, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन आदि।
भारतीय रेलवे की तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में 200 मेगावाट पवन फार्म स्थापित करने और क्षमता बढ़ाने की योजना थी, जिस पर काम चल रहा है। साथ ही, यह रूफटॉप सौर पैनलों के माध्यम से 500 मेगावाट ऊर्जा क्षमता के दोहन पर काम कर रहा है, ऐसी ही एक 1.7 मेगावाट की परियोजना भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के साथ साझेदारी में मध्य प्रदेश के बीना में शुरू की जा चुकी है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला सोलर प्रोजेक्ट है। इनमें से कई योजनाओं पर रेलवे काम कर रहा है।
भारतीय रेल को हरित रेल बनाने के प्रयासों की तरह भारत भी हरित हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को रोकने में अपनी भूमिका निभा रहा है। हरित विकास के लिए सरकार ने हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है। इसके लिए सरकार ने 19,700 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। हाल ही में कैबिनेट ने इस राशि को मंजूरी दी थी। इस मिशन का लक्ष्य पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करना है। फिलहाल इसका फोकस सड़क वाहनों में हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर है, लेकिन निकट भविष्य में इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है।
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