नई दिल्ली, भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदियां लगाने के बाद अब आटा और मैदा के निर्यात पर भी रोक लगाने का फैसला किया है. सरकार ने गेहूं के आटे व अन्य उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने के फ्रेमवर्क को गुरुवार को मंजूरी दे दी है, इससे पहले सरकार ने मई महीने […]
नई दिल्ली, भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदियां लगाने के बाद अब आटा और मैदा के निर्यात पर भी रोक लगाने का फैसला किया है. सरकार ने गेहूं के आटे व अन्य उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने के फ्रेमवर्क को गुरुवार को मंजूरी दे दी है, इससे पहले सरकार ने मई महीने में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया था.
गेहूं के आटे के निर्यात पर लगी रोक अगले सप्ताह 12 जुलाई से प्रभावी होगी, इसके बाद आटे के निर्यात के लिए निर्यातकों को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी (Inter-Ministrial Committee On Wheat) से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी. डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने एक नोटिफिकेशन में इस बात की जानकारी दी है. इस नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘गेहूं के आटे के लिए निर्यात की नीति फ्री ही बनी रहेगी, लेकिन इसका निर्यात करने के लिए गेहूं के निर्यात को लेकर बनी इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी लेनी होगी.’
डीजीएफटी के ताजा नोटिफिकेशन में बताया गया है कि अब इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से आटे के अलावा मैदा, समोलिना (रवा/सिरगी), होलमील आटा और रिजल्टेंट आटा के निर्यात के लिए भी मंजूरी लेने की ज़रूरत पड़ेगी, कमिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही अब इन उत्पादों का भारत से निर्यात किया जाएगा. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, गेहूं के आटे की क्वालिटी के लिए जरूरी प्रावधानों को लेकर अलग से एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.
भारत सरकार के इस कदम को बाजार में आटे की कीमत को नियंत्रित करने के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल मई महीने में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद आटे के निर्यात में बढ़ोतरी देखी जा रही थी, इससे घरेलू बाजार में आटे की उपलब्धता पर असर पड़ रहा था और बाज़ार में कीमतें बढ़ने का खतरा मंडरा रहा था. कुछ कंपनियों ने तो आटे के दाम बढ़ा भी दिए थे, जिसकी वजह से गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का सरकार का ऐलान कारगर साबित नहीं हो पा रहा था. अब नई पाबंदियों से कीमतों में कमी आने की संभावना है.
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