नई दिल्ली, Ukraine Russia news live रूस और यूक्रेन के बीच आज जंग का सातवां दिन है. रूसी सैनिक लगातार यूक्रेन के अलग-अलग शहरों पर बमबारी कर रहे है. इस बीच दोनों देशो के बीच छिड़ी जंग के दौरान भारत के रुख को लेकर देश-विदेश में काफी चर्चा है. भारत ने अभी तक खुलकर किसी भी देश का समर्थन नहीं किया है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से फ़ोन पर बात की थी और इस जंग को खत्म करने पर जोर दिया था. दूसरी तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पेश किए गए प्रस्ताव पर भी मतदान नहीं किया था. जहां एकओर सभी यूरोपीय और पश्चिमी देश रूस के खिलाफ खड़े हो गए, वहीं भारत ने अबतक किसी का भी समर्थन नहीं किया है और अपनी स्थिति को तटस्थ बनाए हुए है.
1- भारत ने अब तक इस युद्ध में किसी भी देश का समर्थन नहीं किया है, जो दर्शाता है कि भारत रूस के खिलाफ नहीं बोल सकता। यदि अमेरिका रूस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाता है, तो भारत के लिए रूस से हथियारों को आयात करने में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं. अमेरिका भारत पर भी रूस से हथियार आयात न करने के लिए दबाव बढ़ा सकता है, जिसका सीधा असर भारत और रूस के बीच हुई S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400 missile defense system) के सौदे पर पड़ सकता है.
2- यही नहीं, रूस पर पाबन्दी लगने के बाद भारत को रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में कई झटके लग सकते है. इसमें मुख्य रूप से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के निर्यात, एक साथ 4 युद्धपोत बनाने का समझौता, रूस से Su-MKI और MiG-29 लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी असर हो सकता है.
3- अमेरिका भी पूर्ण रूप से रूस पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता क्योकि उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दखल को रोकने के लिए भारत की जरूरत है. यदि वह प्रतिबंध लगता है तो भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र मामले में अमेरिका का समर्थन नहीं करेगा।
4- वर्तमान की बात करे तो भारत को इस समय सबसे ज़्यादा हथियार की आपूर्ति रूस के द्वारा की जाती है. ऐसे में यदि भारत रूस के खिलाफ खड़ा होता है, तो उसे रक्षा क्षेत्र में बहुत बड़ा झटका लग सकता है.
5- रूस के द्वारा भारत को इस समय एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसे उपकरणों की आपूर्ति की जा रही है, जो भारत को पाकिस्तान और चीन से लड़ने में मजबूती प्रदान करेंगे। यही कारण है अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद भी भारत ने इस सौदे पर अपनी सक्रियता दिखाई है.
6- भारत और रूस के बीच पुराने कई ऐसे मुद्दे है, जब रूस ने भारत का समर्थन किया है. रूस ने कश्मीर मुद्दे पर UNSC के प्रस्तावों को भारत के पक्ष में वीटो किया था ताकि भारत को इसे द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखने में मदद मिल सके. इसलिए भारत रूस के साथ सीधा टक्कर नहीं ले सकता।
7- भारत रक्षा और भू-राजनीतिक जरूरतों के कारण भी किसी भी देश का समर्थन नहीं कर सकता। यूक्रेन में अभी भी कई हजार नागरिक फ़से है, यदि भारत रूस का पक्ष लेता है, तो हजारो भारतीयों के लिए वहां मुसीबत खडी हो सकती है. ऐसे भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगा.
8 – यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में अभी भारत एक बेहतर स्थिति में है क्योंकि अमेरिका और रूस, दोनों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूस के राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात कर युद्ध को टालने पर ज़ोर दिया था. वहीँ विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने वाशिंगटन में भी कुछ अधिकारीयों के साथ इस सबंध में बात की थी.
9- अगर अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाना जारी रखते है तो इसकी कीमत भारत को चुकानी पड़ सकती है. क्योकि भारत इन देशो के खिलाफ भी नहीं जा सकता और न ही सीधे तौर पर रूस के विपक्ष में खड़ा हो सकता है. रूस के खिलाफ जाने पर भारत को S-400 की खरीद पर मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
10- यदि रूस को भारत के रणनीति में बदलाव दीखता है, तो वह भी भारत पर दबाव बना सकता है, जिसमें भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के के खिलाफ एक मंच पर खड़ा होना शामिल है.
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