नई दिल्ली: रूस साल 2035 तक चंद्रमा पर Nuclear Power Plants स्थापित करने की योजना बना रहा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत और चीन भी इसका समर्थन करेंगे. यह पावर प्लांट चंद्रमा पर बनने वाले बेस को ऊर्जा की आपूर्ति करेगा. इस प्रोजेक्ट पर रूस की सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम […]
नई दिल्ली: रूस साल 2035 तक चंद्रमा पर Nuclear Power Plants स्थापित करने की योजना बना रहा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत और चीन भी इसका समर्थन करेंगे. यह पावर प्लांट चंद्रमा पर बनने वाले बेस को ऊर्जा की आपूर्ति करेगा. इस प्रोजेक्ट पर रूस की सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम काम कर रही है. यह पावर प्लांट चंद्रमा पर आधा मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगा, जिसे चंद्रमा पर बने बेस पर आपूर्ति की जाएगी.
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा है कि चंद्रमा पर Nuclear Power Plants बनाने का काम चल रहा है और यह 2036 तक स्थापित हो जाएगा. साल 2021 में रूस और चीन ने मिलकर एक International Lunar Research Station बनाने की भी घोषणा की थी. रूस की इस पहल से साफ देखा जा सकता है कि भारत एक बार फिर चांद पर निशाना साध रहा है. चंद्रयान-3 के सफल मिशन के बाद इस Nuclear Power Plants में भारत की दिलचस्पी और बढ़ गई है. भारत ने 2035 तक अपना पहला Indian Space Station स्थापित करने की योजना भी शुरू कर दी है.
आर्टेमिस समझौते पर भारत ने 2023 में हस्ताक्षर किए थे और 2040 तक चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की योजना है. ऐसे में चंद्रमा पर स्थापित ये संयंत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे। मनीकंट्रोल के मुताबिक, चंद्रमा पर मिशन के लिए परमाणु ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण है. नासा और सौर ऊर्जा की सीमाओं के कारण, चंद्रमा पर बिजली अड्डों के लिए न्युक्लियर रिएक्टरों का उपयोग करने का विचार है.
नासा का कहना है, “हालांकि चंद्रमा पर पावर सिस्टम की सीमाएं हैं,न्युक्लियर रिएक्टरों को स्थायी रूप से शेडेड एरिया (ऐसे क्षेत्र जहां पानी या बर्फ) में रखा जा सकता है या चंद्र रातों के दौरान लगातार बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.” चंद्रमा पर सौर ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति संभव नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी समस्याओं के बावजूद सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चंद्रमा पर न्यूक्लिअर फ्यूल पहुंचाना सुरक्षित है और लॉन्च की सफलता को देखते हुए रेडिएशन जोखिम बहुत कम है. उन्होंने कहा कि रिएक्टरों को किसी भी समस्या की स्थिति में परमाणु रूप से बंद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.भारत की बात करें तो भारत में Gaganyaan Mission के शुभांशु शुक्ला को नासा की Houston facility में भेजा गया. शुक्ला इसरो और नासा के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करेंगे।
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