नई दिल्ली. Farmers law प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को संबोधित किया और गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया. उन्होंने किसानों से अपील की, घर वापस लौट जाइए। उन्होंने माफ़ी मांगते हुए कहा- की उनकी सरकार लागू किए सभी कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार […]
नई दिल्ली. Farmers law प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को संबोधित किया और गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया. उन्होंने किसानों से अपील की, घर वापस लौट जाइए। उन्होंने माफ़ी मांगते हुए कहा- की उनकी सरकार लागू किए सभी कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार है. इस का ऐलान करते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपने-अपने स्तर पर इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने लगे. राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने इस ऐलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम के से की.
लोकशाही में अहंकार और दुराग्रह का स्थान नहीं
कृषि कानूनों के वापस लेने पर राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा- जिस प्रकार भगवान राम ने उस समय फैसला लिया था उसी तरह इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के हित में यह फैसला लिया है. उन्होंने यह भी कहा कि किसी कानून को वापस लेने से उसकी न्यूनता नहीं सिद्ध करता है. लोकशाही में अहंकार और दुराग्रह का कोई स्थान नहीं है. राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा अब सभी किसान खुशी-खुशी अपने घर जाएंगे और देश में शांति और अमन का माहौल होगा। इसके साथ ही उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत पर निशाना साधते हुए कहा कि टिकैत लक्ष्मण रेखा पार कर रहे हैं. वो ना तो किसान हैं और ना ही किसान नेता, वो महज एक कठपुतली हैं जिसका काम दूसरों के इशारों पर नाचना है.
कृषि क़ानून तो वापस हुआ पर आंदोलनकारी किसान स्थिर मन और चित्त से आत्मालोचन करें ।
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 19, 2021
आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह अपने संबोधन में बताया कि कृषि कानूनों को इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे. इसके फैसले पर किसान नेता राकेश टिकेत ने कहा कि आज सयुंक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के बाद ही आंदोलन को लेकर कोई निष्कर्ष निकाला जाएगा। प्रधानमंत्री के ऐलान पर राकेश टिकैत ने कहा कि अगर समझने में एक साल लगा तो देश बर्बाद हो जाएगा. करीब 750 किसान शहीद हो गए. हम लोग 1 साल से आंदोलन कर रहे हैं. देश की राजधानी को घेर कर रखे हुए हैं. ये सरकार के लिए शर्म की बात है.