नई दिल्ली. IndiaChild Protection Forum कोरोना संक्रमण के बीच बच्चो पर बढ़ते ट्रैफिकिंग और यौन शोषण पर चिंता जाहिर करते हुए आज देशभर के सिविल सोसायटी संगठनों ने इसपर चर्चा की और बच्चों के बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए एक अनूठी पहल करते हुए इंडिया फॉर चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम (आईसीपीएफ) का गठन किया है।यह फोरम […]
नई दिल्ली. IndiaChild Protection Forum कोरोना संक्रमण के बीच बच्चो पर बढ़ते ट्रैफिकिंग और यौन शोषण पर चिंता जाहिर करते हुए आज देशभर के सिविल सोसायटी संगठनों ने इसपर चर्चा की और बच्चों के बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए एक अनूठी पहल करते हुए इंडिया फॉर चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम (आईसीपीएफ) का गठन किया है।यह फोरम भारत में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने और बाल अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए काम करेगा। इस फोरम का उद्घाटन नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने किया।
बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने दिल्ली के दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में चार दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया। जिसमें बच्चों के मुद्दे पर प्रभावी हस्तक्षेप करने वाले प्रयास, शक्ति वाहिनी, बचपन बचाओ आंदोलन और प्रज्जवला जैसे देशभर के 70 से ज्यादा सिविल सोसायटी संगठनों ने हिस्सा लिया। इस चर्चा के बाद ये निर्णय लिया गया कि कोरोना महामारी के बाद हालात जिस तेजी से बदले हैं उसमें सारे संस्थानों को अपने मतभेदों को भुलाकर बच्चों का जीवन संवारने के साझा सपनों की लड़ाई लड़नी होगी। इस चर्चा के बाद ही इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम का गठन हुआ जो बच्चो के सुनहरे बचपन के लिए काम करेगा।
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम राष्ट्रीय गठबंधन है जिसमें बच्चों के मुद्दे पर काम करने वाले समान विचारधारा वाले सिविल सोसायटी संगठन शामिल हैं। यह भारत में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने और बाल अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
वहीं चर्चा के बाद फोरम का उद्घाटन करने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम एक बड़े संकल्प, बड़ी प्रतिज्ञा की शुरुआत है।फोरम का गठन साझा संकल्प, सपनों और विचारों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस फोरम के माध्यम से एक ऐसे भारत का निर्माण करने की कोशिश करेंगे जहां किसी भी बच्चे का बचपन दुःख दर्द में ना बीते।
सत्यार्थी ने बच्चों के प्रति करुणा के विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि
‘‘दुनिया में जितने भी इतिहासों की रचना हुई है, बदलाव के जितने पन्ने लिखे गए हैं, उनको साधारण लोगों ने ही लिखे हैं। विशेषता इसमें नहीं है कि आपके पास कितने पैसे हैं, कितने बड़े पद हैं, आपका कितना नाम है, विशेषता आपकी इस बात में है कि आपके भीतर इसके लिए कितनी गहरी करुणा है।’’