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Defence: दक्षिण अमेरिकी देशों ने पिनाका में दिखाई दिलचस्पी, DRDO ने विकसित की लंबी दूरी की मिसाइल

नई दिल्ली: भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से “आत्मनिर्भर” बन रहा है, और दुनिया भर के कई देश अब भारतीय हथियार प्रणालियों में रुचि दिखा रहे हैं। दरअसल इसका सबसे ताज़ा उदाहरण पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल) है, जिसमे दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने रुचि व्यक्त की है। हालांकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) […]

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Defence: दक्षिण अमेरिकी देशों ने पिनाका में दिखाई दिलचस्पी, DRDO ने विकसित की लंबी दूरी की मिसाइल
  • January 17, 2024 8:59 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से “आत्मनिर्भर” बन रहा है, और दुनिया भर के कई देश अब भारतीय हथियार प्रणालियों में रुचि दिखा रहे हैं। दरअसल इसका सबसे ताज़ा उदाहरण पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल) है, जिसमे दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने रुचि व्यक्त की है। हालांकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ऐसी मिसाइलें भी विकसित कर रहा है ,जिसमें 120 और 200 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य पर वार कर सकते है।

अमेरिकी देशों ने पिनाका में दिखाई दिलचस्पीकिन देशों के पास एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है? - Quora

पिनाका हथियार प्रणाली का नाम भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है, जो डीआरडीओ द्वारा विकसित है। दरअसल रक्षा अधिकारियों ने कहा कि ”हम पहले ही आर्मेनिया को पिनाका एमबीआरएल निर्यात कर चुके हैं, जो” दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी पिनाका हथियार प्रणाली की क्षमताओं को देखने के बाद इसमें रुचि व्यक्त की है, जो उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने अब दो तरह की लंबी दूरी की मिसाइलें विकसित करना शुरू कर दिया है. जिसमें ऐसे संस्करण शामिल हैं जो 120 और 200 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य पर हमला कर सकते है। बता दें कि डीआरडीओ निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के उद्योगों में अपनी भागीदारी बढ़ाकर नए रॉकेटों का उत्पादन और विकास करने वाला है, और मौजूदा रॉकेट 75 से 80 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भी भेद सकते हैं, जो भारतीय सेना के हित में है।

DRDO ने विकसित की मिसाइल

दरअसल पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर डीआरडीओ के तहत निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ साझेदारी में विकसित स्वदेशी हथियार की प्रणाली है, जो लॉन्चर वाहन टाटा समूह टाटा और लार्सन एंड टुब्रो के जरिए बनाया गया है। साथ ही रॉकेट सौर उद्योग और नए रॉकेट की परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों के भी शामिल होने की पूरी उम्मीद है।

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