India GDP: GDP के सिकुड़ने की गहराई बेहद खौफनाक है शून्य से नीचे यानी -23.9% की बदहाली की वजह है. मैन्युफैक्चरिंग -39.3%, माइनिंग - 41.3%, भवन निर्माण 50.3% व्यापार, संचार आदि -47% यानी लगभग चार दशक का सबसे बुरा हाल इस बार जीडीपी के आंकड़ों के रूप में देखने को मिल रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना की वजह से वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल से जून तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी किए हैं जिसमें एतिहासिक गिरावट देखने को मिली है. यही नहीं, कोर सेक्टरों के आंकड़ों में भी जबर्रदस्त गिरावट देखने को मिल रही है. जुलाई महीने में आठ इंडस्ट्री के उत्पादन में 9.6 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल इस दौरान जीडीपी में 5.2 फीसदी की बढ़त हुई थी.
इसके पीछे वो बड़ी वजह मानी जा रही है वो ये कि अप्रैल और मई में लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप रही, जून में अर्थव्यवस्था थोड़ी चली लेकिन रफ्तार नहीं पकड़ पाई. आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि सेक्टर देश की जीडीपी में करीब 45 फीसदी का योगदान रखते हैं और पहली तिमाही में लॉकडाउन की वजह से इन सभी सेक्टर के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा. कोरोना की वजह से जर्जर हालत में पहुंची देश की अर्थव्यवस्था को लेकर रेटिंग एजेंसिया पहले से अनुमान लगा रही थी कि देश की जीडीपी 17 से 25 फीसदी तक माइनस में रहेगी.
क्या होता है जीडीपी?
किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है कि वो किस रफ्तार से ग्रोथ कर रही है. इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है, लेकिन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तिमाही भी आंका जाता है. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया.
जीडीपी दो तरह का होता है नॉमिनल जीडीपी और रियल जीडीपी. नॉमिनल जीडीपी सभी आंकड़ों का मौजूदा कीमतों पर आधारित होता है, लेकिन रियल जीडीपी में महंगाई के असर को भी समायोजित कर लिया जाता है. यानी अगर किसी वस्तु के मूल्य में 10 रुपये की बढ़त हुई है और महंगाई 4 फीसदी है तो उसके रियल मूल्य में बढ़त 6 फीसदी ही मानी जाएगी. भारत में हर तिमाही जो आंकड़े जारी होते हैं वे रियल जीडीपी के होते हैं.
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