नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2020 में गलवान झड़प के बाद से यह लगातार चौथा मौका है, जब बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है। दोनों देशों के सेना में से कोई पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। वहीं भारत […]
नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2020 में गलवान झड़प के बाद से यह लगातार चौथा मौका है, जब बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है। दोनों देशों के सेना में से कोई पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। वहीं भारत की सेना को चीन पर भरोसा नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि चीन और भारत के बीच यह गतिरोध कैसे खत्म होगा और इस विवाद का असली कारण क्या है ? साथ ही चीन से निपटने के लिए भारत की कैसी तैयारी है।
भारतीय सेना को चीने सेना पर भरोसा नहीं
चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में जो हरकत की थी, उससे भारत को चीन पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है। बता दें कि दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में खूनी झड़प हुई थी। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे और भारतीय सैनिकों ने 40 से ज्यादा चीनी सैनिकों को ढ़ेर कर दिया था। वहीं दोनों देशों के बीच गलवान के बाद से 20 दौर की कोर कमांडर लेवल की बैठक हो चुकी है। बातचीत के दौरान शुरुआत में प्रगति हुई।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने किया ये दावा
अमेरिकी के रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने खुलासा किया है कि चीन अपने इलाके में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटा है। चीन अंडर ग्राउंड शेल्टर, नई सड़क, हेलीपैड और नए रडार लगा रहा है। इसके अलावा चीन बॉर्डर विलेज भी बसा रहा है। हालांकि चीन को जवाब देने के लिए भारत भी सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटा हुआ है। भारत नया एयर फील्ड बना रहा है, ताकि लड़ाकू विमान टेक ऑफ कर सकें। इसके साथ ही सड़क और पुलों का भी निर्माण भी किया जा रहा है, जिससे सेना की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाया जा सके.
सीमा का निर्धारण नहीं होने से विवाद
सीमा विवाद का बड़ा कारण भारत और चीन के बीच सीमा का निर्धारण नहीं होना है। भारत और चीन का अपना-अपना नजरिया है। वहीं जानकारों का कहना है कि चीन देने के बजाए लेने में विश्वास रखता है।
चीन की कथनी और करनी में फर्क
वहीं भारत का इस विवाद को लेकर कहना है कि चीन की कथनी और करनी में अंतर है। भारत बॉर्डर पर यथा स्थिति में बदलाव की बात स्वीकार कतई नहीं करेगा। जब तक चीन पूर्वी लद्दाख में अपनी पुरानी वाली जगह वापस नही लौटता है, तब तक रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते हैं। चीन के साथ सीमा पर विश्वास तभी कायम हो सकता है जब चीन जो कहता है वह करे।
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