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गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हटेगी भारत-चीन की सेना, आर्मी चीफ लेने जाएंगे स्थिति का जायजा

गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स: नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच करीब दो वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी तनाव की स्थिति अब सुधरती हुई दिखाई पड़ रही है। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार वार्ता हो चुकी है। वार्ता के सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे […]

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India-China
  • September 10, 2022 11:48 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स:

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच करीब दो वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी तनाव की स्थिति अब सुधरती हुई दिखाई पड़ रही है। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार वार्ता हो चुकी है। वार्ता के सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे है।

12 सितंबर तक पीछे हटेगी दोनों सेनाएं

अगले सप्ताह होनेवाले शंघाई सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात संभावित है। उससे पहले ही एक अच्छी खबर आई है कि दोनों देशों की सेनाएं गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से पीछे हट रही हैं। आसार है कि 12 सितंबर तक इस इलाके को खाली कर दिया जाएगा। आज स्थिति का जायजा लेना सेना प्रमुख मनोज पांडेय खुद लद्दाख जाएंगे। इससे पहले भारत – चीन के बीच 16वें दौर की बैठक 17 जुलाई को हुई थी। बैठक के बाद सरकारी सूत्रों ने कहा था कि यह संभावना है कि भारत अपने पोस्ट को करम सिंह हिल फीचर की ओर ले जा सकता है। वहीं, चीनी सैनिक वापस उत्तर की ओर जाएंगे।

चीनी सेना ने की थी घुसपैठ

मई 2020 में चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी। इसी दिन से दोनों देशों के सैनिक पैट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास एक दूसरे के विपरीत तैनात हैं। पिछले महीने भारत और चीन की सेना ने एक डिवीजन कमांडर-स्तरीय बैठक की थी। जिसमें लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए चर्चा की।

शंघाई सम्मेलन से पहले बनी बात

भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के ‘गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स’ इलाके से पीछे हटने की प्रक्रिया 12 सितंबर तक पूरी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन होनेवाला है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाग लेने की उम्मीद है।

आपसी बातचीत से बनी सहमति

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग के अनुसार पीछे हटने की प्रक्रिया एक सकारात्मक कदम है और यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के माहौल के लिए महत्वपूर्ण है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मामले पर जबाव देते हुए कहा कि इलाके में भूमि विवाद से पहले की स्थिति को बहाल किया जाएगा, जो दोनों पक्षों के बीच गतिरोध की स्थिति से पहले था। भारत – चीन ने वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शांति बहाल करने एवं शेष मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई है।

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